Book Title: Naishadhiya Charitam 03
Author(s): Mohandev Pant
Publisher: Motilal Banarsidass

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Page 586
________________ परिशिष्टम्-४ 583 वित्थ चित्तमखि (5 / 105) विदर्भराजप्रभवा (9 / 141) विदर्भसुभ्रूस्तन० (182) विद्या विदर्भेन्द्र० (7 / 41) विधाय मतिं (1 / 124) विधाय भूर्धान (७१९४)विधि वधूसृष्टि० (3 / 50) विधिरनंशम० (4 / 88) विधुकरपरिरम्भा (2 / 106) विधुदीधितिजेव (2194) विधुरमानि तया (4 / 20) विधुविरोधितिथेः (4 / 107) विधेः कदाचिभ्रमणी (3.19) विधोविधिबिम्ब० (7 / 59) विनमद्भिरधः स्थिते (270) विना पतत्रं विनता (3 / 37) विनिद्रपत्रालि (1178) विनिहितं परि० (4 / 28) विभज्य मेरुन (1 / 16) विभिन्दता दुष्कृति० (9 / 62) विभ्रम्य तच्चाह० (77) वियोगबाष्पा० (761) वियोगभाजां 179) वियोगिनीमैक्षत (1983) विरम्यतां भूतवती (8056) विरहतप्ततदङ्ग (4 / 32) विरहतापिनि (4 / 27) विरहपाण्डिम (4 / 15) विरहपाण्डुकपोल (4 / 26) विरहिणी विमुख (4 / 96) विरहिभिबहु (4 / 63) विरहिवविध (4162) विलम्बसे जीवि० (9 / 90) विललास जलाशयो (8179) विलासवापीतट (1 / 102) विलेखितुं भीमभुवो (6 / 64) विलोकयन्तीभि (1 / 29) विलोकितास्या (7.51) विलोक्य तच्छाय (6 / 44) विवेश गत्वा स (174) विश्वदृश्वनयना (5 / 101) विश्वरूपकलना (5 / 39) विषमो मलयाहि० (2 / 57) विष्टरं तटकुशा० (5 / 7) विहाय हा सर्व० (9 / 44) वीक्षितस्त्वमसि (5 / 42) वीक्ष्य तस्य वरुणः (5 / 61) वीक्ष्य तस्य विनये (5 / 20) वृणे दिगीशानिति (9 / 70) वृथा कथेयं मयि (9 / 9) वृथा परीहास (9 / 25) वृथापंयन्तीमपथे (3 / 14) वेद यद्यपि (5 / 36) वेलातिगस्त्रण (3 / 49) वेलामतिक्रम्य (4) वेश्माप सा धैर्य० (6 / 56) .

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