Book Title: Naishadhiya Charitam 03
Author(s): Mohandev Pant
Publisher: Motilal Banarsidass

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Page 585
________________ 582 नैषधीयचरिते . येषु येषु सरसा (5 / 32) यो मघोनि दिव० (5148) रचय चारुमते (4 / 114) रज्यन्नखस्या (770) रज्यस्व राज्ये (6 / 84) रतिपतिप्रहिता (4 / 40) रतिपतेविजयास्त्र० (4 / 37) रतिवियुक्तमनात्म० (4 / 78) रथाङ्गभाजा (1.111) रथादसौ सोरथिना (67) रम्भापि कि चिह्न (7 / 93) रविकान्तमयेन (2 / 93) रवगुणास्फा० (8168) रसालसाल: (189) रसैः कथा यस्य 112) राजा द्विजानामनु (8 / 37) राजा स यज्वा (3 / 24) राजौ द्विजानामिह (6 / 46) रामणीयकगुणा (5 / 65) रिपुतरा भवना (4 / 24) रुषयोऽस्तमितस्य (2 / 90) रुषा निषिद्धालि 3 / 12) रुषारुणा सर्वगुणः (7101) रूपं प्रतिच्छायिक (6 / 45) रूपमस्य विनिरू० (5 / 62) रेखाभिरास्ये (3 / 35) रोमाञ्चिताङ्गीमनु (6 / 23) रोमावलीदण्ड (7 / 90) रोमावलीभ्रू (7 / 86) रोमावलीरज्जु (784) रोहण: किमपि यः (5 / 125) लघी लघावेव (9 / 152) लताबलालास्य (11106) लिपि दृशा भित्ति (3 / 103) लिपिन दैवी सुपठा (6177) लिलिहे स्वरुचा (2 / 100) लोक एष परलोक (5 / 91) लोकस्रजि द्यौदिवि (6 / 81) वदनगर्भगतं (4 / 65) वद विधंतुद (4 / 70) वनान्तपर्यन्त (1175) वयं कलादा इव ( 8199) वयसी शिशुता (2 / 30) वरणः कनकस्य (2 / 86) वराटिकोपक्रियया (3388) वर्षेषु यद्भारत (6 / 97) वहतो बहुशैव० (216) वाग्जन्मवैफल्य० (8 / 32) वाचं तदीयां (3 // 60) वापि नासत्य (3 / 44) वासः परं नेत्र० (78) विचिन्वतीः पान्थ (1986) विचिन्त्य बाला (3 / 68) विज्ञप्तिमन्तः (6 / 76) विशेन विज्ञाप्य (3 / 96) विततं वणिजापणे (2 / 91)

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