Book Title: Naishadhiya Charitam 03
Author(s): Mohandev Pant
Publisher: Motilal Banarsidass
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________________ नैषधीयचरिते भैमीनिराशे हृदि (6 / 16) भैमीपदस्पर्श० (65) भैमीमुपावीणय (6 / 65) भैमीविनोदाय (6 / 74) भैमोसमीपे स (6 / 72) भैम्या समं नाजगण. (6 / 2) भ्रमणरयविकर्ण० (3 / 108) भ्रमन्नमुष्या (6 / 36) भ्रमामि ते भमि (9 / 51) भ्रूभ्यां प्रियाया (7 / 25) भ्रश्चित्रलेखा (7 / 92) मग्ना सुधायां (15) मतः किमैरावत० (9 / 52) मत्तपः क्वनु तनु (5 / 95) मत्प्रीतिमाधित्स० (3158) मदनतापभरेण (4 / 10) मदन्यदानं प्रति (3375) मदर्थसन्देश (1 / 137) मदुग्रतापव्यय० (9 / 95) मदेकपुत्रा जननी (1 / 135) मद्विप्रलभ्यां पुन० (3 / 78) मध्यं तनूकृत्य (7582) मध्ये श्रुतीनां (3365) मध्योपकण्ठावध० (7 // 40) मनसि सन्तमिव (4 / 12) मनस्तु यं नोज्झति (3 / 59) मनोरथेन स्व० (1139) मन्दाकिनीनन्दन० (683) मन्दाक्षमन्दाक्षर (3 / 61) मन्मथाय यदथा० (5 / 31) मन्येऽमुना कर्ण (164) मम त्वदच्छाध्रि (9 / 107) मम श्रमश्चेतनया ( 926) ममादरीदं विद० (9 / 100) ममापि किं नो (9 / 98) ममाशयः स्वप्न. (9 / 32) ममासनार्धे भव (9 / 114) ममैव पाणीकरणे (9 / 68) ममैव वाहदिन० (9 / 96) ममैव शोकेन (1 / 140) मयाङ्ग पृष्टः कुल० (913) मयापि देयं प्रति० / 9 / 16) मयैव सम्बोध्य (9 / 140) मल्ललत्पल्लव० (1 / 94) महाजनाचार० (2013) महारथस्याध्व० (1 / 61) मही कृतार्था (8 / 44) महीभृतस्तस्य (1126) महीमहेन्द्रः खलु (3171) महीमहेन्द्रस्तम० (1 / 119) महीयसः पङ्कज (1 / 113) महेन्द्रदूत्यादि (9 / 102) महेन्द्रहेतेरपि (9 / 150) मां वरीियति (5 / 70) मा धनानि कृपणः (5 / 89) मानुषीमनुसरत्यथ (5 / 47)

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