Book Title: Naishadhiya Charitam 03
Author(s): Mohandev Pant
Publisher: Motilal Banarsidass

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Page 582
________________ 579 प्रसीद यच्छ (9 / 147) प्रसूनबाणा० (748) प्रसूनमित्येव (9 / 139) प्रसूप्रसादाधिगता (6 / 59) प्रागिव प्रसुवते (5 / 14) प्राची प्रयाते विरहा० (8 / 62) प्रापितेन चटुकाकु (5 / 84) प्राप्तव तावत्तव (8 / 49) प्रियं न मृत्युं न (9 / 92) प्रियं प्रियां च (1138) प्रियकरणग्रहमेव (4 / 30) प्रियसखीनिव० (4 / 1 / 101) प्रियां विकल्पोपहतां (6 / 17) प्रियाङ्गपान्था (76) प्रियानखीभूत० (8 / 106) प्रियामनोभूशर० (8188) प्रियामुखीभूय (152) . प्रियासु बालासु (1 / 118) प्रिये वृणीष्वामर (8 / 103) प्रेयसीजितसुधांशु० (5 / 131) प्रेषिताः पृथगथो (5 / 56) प्रेयरूपकविशेष० (5 / 66) प्लुष्टः स्वैश्वापरोपैः (8 / 105) फलमलभ्यत (481) फलानि पुष्पाणि (1177) फलेन मूलेन च (11133) बत ददासि (4184) बन्धाढ्यनानारत० (3 / 124) परिशिष्टम्-४ बन्धाय दिव्येन (3 / 20) बन्धुकबन्धुभव० (8137) बलिसद्म दिवं (2 / 84) बहुकम्बुकमणि (2188) बहुरूपकशाल० (2 / 83) बाहू प्रियाया जयतां (7 / 68) बिति वंशः कतमः (9 / 6) बिभेति रुष्टासि (3 / 112) बिभेमि चिन्तामधि (9 / 31) ब्रवीति ते किं (8 / 48) ब्रह्माद्वयस्यान्व० (7 / 3) भङ्गुरं च वितथं (5 / 118) भजते खलु (2 / 33) भवत्पदाङ्गुष्ठमपि (8 / 36) भवद्वियोगाच्छुिदुर० (3 / 113) भवन्नदृश्यः प्रति (6 / 46) भविता न विचार० (2015) भव्यानि हानीर० (7 / 26) भिक्षिता शतमखी (5 / 21) भीमजा च हृदि (5 / 82) मुवनत्रयसुभ्रवामसी (2018) भुवनमोहनजेन (483) भूयोऽपि बालो (8331) भूयोऽर्थमेनं (6 / 11.) भूलोकभतुर्मुख० (8 / 14) भृशं वियोगा० (9 / 89) भृशतापभृता (2 / 53) भैमी च दूत्यं च (689)

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