Book Title: Nagor Ke Vartaman Aur Khartaro Ka Anyaya Author(s): Muktisagar Publisher: Muktisagar View full book textPage 3
________________ ( ३ ) इनके अलावा उपाश्रय पाठशाला न्याति नाईस स्थानक चगैरह बहुत से स्थान हैं तथा दिगम्बर जैनों के मन्दिर और दो नासियाँ भी है। यहाँ पर श्वेताम्बर, दिगम्बर, स्थानकमार्गी वगैरह में अच्छा मेलमिलाप चिरकाल से ही चला आ रहा है। ताजा ही उदाहरण है कि गत वर्ष में स्टेशन पर श्रीमान समदड़ियाजी के बनाये जैन मन्दिर की प्रतिष्ठा के समय तीनों समुदाय ने सप्रेम एकत्र हो जैन धर्म की उन्नति का डंका बजा कर जनता को यह बतला दिया था कि हमारे आपस में क्रिया भेद होते हुए भी हम सब एक ही हैं। पर दुःख इस बात का है कि कलिकाल की कुटल गति से इस प्रकार सम्प देखा नहीं गया और उसने मूर्तिपूजक समुदाय में एक जबर्दस्त तखेड़ा पैदा कर दिया जिसका ही यहाँ दिग्दर्शन करवाया जाता है । होरावाड़ी में भगवान् आदीश्वरजी का एक मन्दिर है 'जिसके मूल गम्भारा में मूर्तियाँ अधिक होने के कारण पुजारियों * श्रीमान् हीराजी ओसवाल ने वि० सं० १४३१ में इस मुहल्ला की पोल वगैरह बनवाई उससे इसका नाम 'हीरावाड़ी' प्रसिद्ध हुआ | आपने और भी बहुत से जनोपयोगी कार्यों में बहुत सा द्रव्य व्यय किया जिसके कारण वहाँ के बादशाह तथा श्री संघ ने प्रसन्न हो आपको 'चौधरी' की पदवी प्रदान की । वि० सं० १४३४ में श्रीमान् हीराजी ने हीरावाड़ी में भगवान् भादीश्वरजी की मन्दिर तथा पौषधशाल का जीर्णनुधार कराया जो सात कोठरी का उपासरे के नाम ले प्रसिद्ध है । यह बात मन्दिरजी के शिला लेखादि से पाई जाती है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 234