Book Title: Nagor Ke Vartaman Aur Khartaro Ka Anyaya
Author(s): Muktisagar
Publisher: Muktisagar

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Page 11
________________ भवितव्यता टारी नहीं टरती है । खरतरों ने पगलिया हो क्यों पर साथ में फूट कुसम्प के खासा बीज की भी स्थापना करदी जो आज पर्यन्त जीवित है और भविष्य में कहाँ तक फले फूले इसके लिये तो कोई भविष्यवेत्ता ही जान सकता है। ___ इस बात की खबर तपागच्छ वालों को हुई । पर वे तो थे पौषध व्रत में। जिन लोगों ने पौषध नहीं लिया था उनका खून उबल उठा और वे बोल उठे कि हम जाकर पगलिया उठा कर मन्दिर के बाहर रख देंगे पर अग्रेसरों ने उनको रोका पर उन लोगों को शान्ति नहीं आई और वे लोग कहने लगे कि आप इस प्रकार हम लोगों को हर वक्त रोक कर खरतरों को अन्याय करने में हौसला बढ़ा रहे हैं इत्यादि। फिर भी अग्रेसरों ने कहा तुम शान्ति रक्खो शान्ति के फल हमेशा मधुर ही होते हैं । इस पर भी उन लोगों से रहा नहीं गया जब वह जाने के लिये तैयार हुए तो मुनि श्री ज्ञानसुन्दरजी महागज ने सोचा कि दोनों पार्टी गुस्सा में हैं न जाने वहाँ जाने पर क्या अनर्थ हो जायगा ? श्रतएव आप श्री ने उनको जोर दे कर समझाया और वहाँ जाने से रोक दिया । यदि मुनि श्री का इतना जोरदार कहना नहीं होता तो न जाने कहाँ तक खून खराबी होती । स्त्रैर, चौमासी चौदस का दिन और रात्रि तो धर्म कार्य आराधन करने में व्यतीत हुआ। ____ * मुनि श्री ज्ञानसुन्दरजी महाराज ने इस झगड़े को देख विहार करने का इरादा कर लिया, पर होली चातुर्मास की विनति मंजूर कर ली थी। जब फागण शुद्ध १५ को विहार की सब तैयारी करली पर चेत बद १ का स्वामिवात्सल्य होने के कारण श्री संघ के आग्रह के कारण उस दिन और ठहरना पड़ा और चेत वद २ को आप विहार कर गये। . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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