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अधिक बढ़ गया है और इस लेख में कई प्रसंगोपात बातें भी लिखी गई हैं पर वे लिखनी खास जरूरी भी थों और इसमें निमित कारण तो खास खरतर साधु हो है जो हाल नागोर में विराजमान हैं और वे इतने से ही शान्ति रखें वरना अभी मशाला बहुत संग्रह किया हुआ तैयार रख छोड़ा है । मेरा यह भी ख्याल है कि अन्य खरतरे इस. लेख को पढ़कर मेरे पर टूट पड़ेंगे पर उन महानुभावों का सबसे पहला यह कर्तव्य है कि इस लेख के. लिखने में कारण कौन है उसको ही उपालम्ब दें और भविष्य के लिये ऐसी शिक्षा दें कि यह मामला यहां ही शान्त हो जाय । इसमें ही कल्याण है । किमधिकम् ।
ता० ५.१०.३७ नागोर (मारवाड़)
'शांति का इच्छुक । बी० ए० के. जैन नागोरी
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