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तनक भी नहीं डरते हैं । उनको तो ऐसा हो मोका देखना था । जब इस बात का हुल्लड़ मचा तो तपागच्छ वाले कई लोग भी वहाँ पहुँच गये और कहा कि आज हमारे सांवत्सरिक पर्व का दिन है। आप ऐसा अन्याय क्यों करते हो । मन्दिरों के काम के लिये श्री संघ की कमेटी मौजूद है फिर आप इस झगड़े में नया नया बखेड़ा क्यों डालते हो । जो कुछ काम करना है तो सबकी सम्मति से करावें । पर खरतरे कब मानने के थे क्यों कि उनके पीछे हरिसागरजी का हाथ था और हरिसागरजी को नागोरियों के शिर फुड़ा कर मुकदमाबाजी करवानी थी जिसका निश्चय आपने जयपुर से ही कर रखा था।
उस समय दोनों पक्ष में बाद विवाद और थोड़ी बहुत थापा मुक्की भी हुई। जैनेतर लोग भी गहरी तादाद में वहाँ आ गये और खतरों को अन्याय के लिये खूब हो कहने लगे । किन्तु जिनको लोकोपवाद की भी परवाह नहीं उनके लिए कुछ भी क्यों न हो ? खैर, आखिर पुलिस आ जाने से मामला शान्त होगया। पुलिस ने कोठरी बन्द करव कर सबको चले जाने का ओर्डर दे दिया । सुना जाता है कि खरतरे फौजदारी दावा करने वाले हैं। यदि खरतरे दावा करेंगे तो इच्छा के न होते हुए लाचार हो तपागच्छ वालों को भी दावा तो करना ही पड़ेगा । यदि दोनों ओर से मुक़द्दमा बाजी होगी तो कलह प्रिय हरिसागरजी की मनोकामना पूर्ण हो जायगी इसकी खुशहाली में दादाजी को सवा रुपये का प्रसाद बोला हुआ है जिससे दादाजी भी तृप्त हो जायँगे ।
यह लेख लिखने के बाद का यह समाचार है कि इधर तपागच्छ वाले श्रश्वन कृष्णा १० को श्री पार्श्वनाथ फलोदी के मेला
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