Book Title: Nagor Ke Vartaman Aur Khartaro Ka Anyaya
Author(s): Muktisagar
Publisher: Muktisagar

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Page 15
________________ की मूर्ति पादुका तोड़-तोड़ कर टुकड़े कर डाले थे उस समय दादाजी किस तीर्थ की यात्रा पधारे थे। ... पाठकों! न तो दादाजी आये हैं और न कहीं गये तथा न दादाजी ने परचा ही दिया है मुनीचन्दजी के शरीर में तो ऐसी एक बीमारी है कि वह हरवक्त इसी प्रकार बोल उठते हैं खरतरों ने भद्रिकों को भ्रम में डालने के लिये एक जाल रचा है पर अब वह जमाना नहीं है कि इस प्रकार से कोई समझदार धोखे में फँस जाय । इत्यादि जितने मुँह उतनी बातें । संसार में किस-किस का मुँह बन्द किया जाय। खैर, फागुण सुद १५ का दिन इस प्रकार की चर्चा में व्यतीत हुआ। चैत बद १ को. तपागच्छ वालों के स्वामीवात्सल्यता था वे लोग जल्दी ही अपने काम में लग गये । ___ तपागच्छवालों की कहां तक उदारता है कि खरतरों ने श्रीसंघ की आज्ञा का भंग कर बिना चाबी ताला तोड़ पगलिया निकाल लिया बिना श्री संघ की सम्मति होगवाड़ी के मन्दिर में दादाजी का पगलिया रख दिया । इस प्रकार जुलम करने पर भी स्वामिवात्सल्य के लिये खरतरों को भी आमंत्रण दिया कि वे लोग अलग न रहें । खैर जितने लोग आये वे जीम गये पर कई लोग नहीं भी आये थे उन लोगों का इरादा किसी न किसी बहाने से अपना अपराध तपों के शिर डाल उनको बदनाम करने का था और उन्होंने किया भी ऐसा ही।। चैत वद १ को एक ऐसी दुर्घटना हुई जिसके दुःखद् समाचार सुनते ही सब संघ में सनसनी छागई। वह दुर्घटना थी बड़े मन्दिरजी में गोडीजी की देहरी से पगलिया चला जाना। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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