Book Title: Moksh Marg me Bis Kadam
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - मोक्ष मार्ग में बीस कदम अदिन्नमन्नेसु य णो गहेजा ॥ (न दी हुई किसी की कोई वस्तु ग्रहण नहीं करनी चाहिये।) संस्कृत में भी कहा है : कस्यचित्किमपि नो हरणीयम् ।। (किसी का कुछ भी चुराना नहीं चाहिये।) बाईबिल कहती है : Thou shall not steal वेदों में आदेश है : मा गृधः कस्यश्चिद् धनम् ।। (किसी के धन पर मत ललचाओ।) प्रभु महावीर उत्तराध्ययनसूत्र के माध्यम से फरमाते है : नायएज तणामवि ॥ (स्वामी की आज्ञा प्राप्त किये बिना एक तिनका भी नहीं लेना चाहिये।) इस प्रकार सर्वत्र चोरी का निषेध किया गया है। चोरी के पाँच प्रकार होते है :(१) सेंध लगाना - किसी धनवान के मकान की दीवार में घुसने लायक छेद बनाना। (२) गाँठ खोलना- अनाज आदि की बँधी हुई गटरी को खोलकर माल निकाल लेना। (३) ताला तोड़ना-नकली चाबी बनाकर या और किसी तरीके से ताला खोलना अथवा तोड़ना। (४) किसी की कहीं पड़ी हुई वस्तु उठा लेना। (५) डाका डालना- मालिक की उपस्थिति में उसे पिस्तौल आदि से इग कर उसका धन छीन लेना। इनके अतिरिक्त माप-तौल के नकली साधन रखना भी चोरी है। जैसे एक किलोग्राम के ऐसे दो बाँट रखना कि एक का भार पौन किलोग्राम हो और दूसरे का सवा किलोग्राम । अब अपनी दूकान पर यदि कोई ग्रामीण घी बेचने आये तो उसे तौलते समय सवा किलोग्राम वाले बाँट का उपयोग करना, जिससे एक किलोग्राम के ही पैसे देने पड़े और यदि कोई ग्राहक घी खरीदने के लिए दूकान पर चला आये तो (घी) तौलते समय पौन किलोग्राम के बाँट का उपयोग करना और ग्राहक से पूरे एक किलोग्राम का मूल्य वसूल करना । यही बात नाप (कपड़ा) नापने के मीटर आदि) और माप (दूध, तेल आदि मापने के लिए लीटर आदि) के साधनों के लिए भी कही जा सकती है। ऐसे साधनों से एकाध बार भले ही आपको लाभ मालूम हो; For Private And Personal Use Only

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