Book Title: Meri Jivan Gatha 02
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 488
________________ स्मृतिकी रेखायें ४५७ गयावालोंको धन्यवाद दिया । भाद्रपद शुक्ला ३ को टाउन हालमें विनोवाभावेकी जयन्ती थी। हम भी गये। उत्सवका आयोजन सफल हुआ। पयूषण पर्वमे तत्त्वार्थसूत्रका प्रवचन करनेके लिये वनारससे श्री पं० कैलाशचन्द्रजी साहव पधारे। आपकी प्रवचनशैली उत्तम तथा वाणी मिष्ट हैं। त्याग धर्मके दिन स्याद्वाद विद्यालय बनारसको अच्छा दान मिल गया। ___ भाद्र शुक्ला १४ के दिन पुराने गयामे श्री पार्श्वनाथ स्वामीके दर्शन किये। यहाँपर पूजाका प्रबन्ध अच्छा है । गानतानके साथ यूजा होती है। आज १ बजे दिनसे ३ बजे दिनतक श्री पतासीबाईके जन्म दिवसका उत्सव था। जनता अच्छी संख्यामे थी। आजके दिन अधिक स्त्री पुरुष उपस्थित थे। मन्दिरसे बाहर जुलूस भी गया। पर्वके बाद आश्विन कृष्णा ४ को वी जयन्तीका उत्सव था! बाहरसे अनेक महानुभाव आये थे। आरासे पं० नेमिचन्द्रजी ज्योतिषाचार्य भी आये थे। द्वितीय टाउनहालमे व्याख्यान सभाका आयोजन था। श्रीनेमिचन्द्रजीने अहिसा तत्त्वपर अच्छा प्रकाश डाला। आपने कहा कि हम जिस मुहल्लामे रहते हैं उसमें रहनेवाले सब लोगोंके साथ हमे कुटुम्ब जैसा व्यवहार करना चाहिये। यदि किसीके घर किसी वस्तुकी कमी है तो उसकी पूर्ति करना चाहिये। हम लोग अहिंसाके नाम पर छोटे छोटे जीव जन्तुओंकी तो रक्षा करते हैं परन्तु मनुप्योंकी उपेक्षा कर देते हैं। आश्विन कृष्णा दशमी २ अक्टूबरको यहाँ मन्नू लाइब्रेरी में गांधी जयन्तीका उत्सव था। कोई ५०० महिलायें - हाँ पर थीं। हम लोगोंका भी निमन्त्रण था, अत गये थे। गांधीजी १ त्यागी पुरुप थे । जो काम वह करते थे। निष्कपटभावसे करते थे। इसीसे उनका प्रभाव पूर्ण जनताके हृदयंगम था । यही कारण था कि इतना

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