Book Title: Meri Jivan Gatha 02
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 496
________________ लघु यात्रा ४६५ हुआ । दिनमे एक बजे सभा हुई जिसमें भगतजीका भाषण हुआ । हमने भी कुछ कहा । रात्रिको क्र० नाथूराम तथा भगत सुमेरुचन्द्रजी के भापण हुए। लोगोंने स्वाध्यायका नियम लिया। तीसरे दिन श्री सोहनलालजीके यहाँ आहार कर २ बजे आगेके लिए प्रस्थान कर दिया । ग्रामके लोगोंने बहुत ही शिष्टतासे व्यवहार किया । यहाँ से कोडरमा १४ मील है । रात्रि एक डाक बंगला व्यतीत की । आगामी दिन प्रातःकाल ४ मील चलकर पई वजे रामपुर श्रा गये । यहाँ कोडरमासे चौका आया था, उसीमे आहार हुआ । यहाँ कोडरमासे २० स्त्री पुरुप आ गये । अपराह्न काल चलकर एक मढ़ियाके समीप विश्राम किया। दूसरे दिन प्रातः चलकर भोंडीके स्कूलमे ठहरे | वहीँपर आहार हुआ । संध्याकाल चलकर विन्दामें विश्राम किया । आगामी दिन प्रातः ४ मील चलकर एक स्कूल में ठहरे । कोडरमावालोंके चौकामे आहार हुआ । वहाँसे १ बजे ४ मील चलकर ३|| वजे भूमरीतलैया आ गये। लोगोंने उत्साहसे स्वागत कर धर्मशाला में ठहरा दिया । भूमरीतलैया ग्रामका नाम है और स्टेशनका नाम कोडरमा है । यहाँ जैनियोंके अच्छे घर हैं । मन्दिर अच्छा है । लोगोंमे धार्मिक भावना उत्तम है । यहाँ श्री जगन्नाथ जी पाण्ड्याने आहार होने के उपलक्ष्य में पाठशाला, औषधालय तथा चैत्यालय बनानेके लिये अच्छा दान किया । श्री पं० गोविन्दरामजी यहाँ अच्छे विद्वान् हैं । बनारस से पं० कैलाशचन्द्रजी भी आ गये । आपका अहिसा व मानवधर्मपर आमसभामें उत्तम भाषण हुआ । यहाँ १५ दिन लग गये । अगहन बदी ११ सं० २०१० को १ बजे प्रस्थान कर चिगलावर, जयनगर तथा फरसाबादमे क्रमशः ठहरते हुए त्रयोदशीके दिन सरिया (हजारीबाग रोड) आ गये । यहाँ स्टेशनके पास एक सुन्दर ३०

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