Book Title: Meri Jivan Gatha 02
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 522
________________ हजारीबागका ग्रीष्मकाल ४८३ •थगित कर दिया था फिर भी आस-पासके लोगोंकी अच्छी संख्या आकर यहाँ उपस्थित हो गई। कुँवार बदी ३ वीर निर्वाण २४८३ आपकी वर्तमान पर्यायका अन्तिम दिन था। दुर्बल होने पर भी आपकी चेतना यथापूर्व थी। आप वोन नहीं सकते थे फिर भी यथार्थ तत्त्व आपके ज्ञानमें समाया हुआ था। आज आपने अन्न-जलका सर्वथा त्याग कर दिया। मैंने कहा कि सिद्ध परमेष्ठीका ध्यान है। उन्होंने हूँकार भरा। तदनन्तर मैंने कहा कि आत्मा पर पदार्थोंसे भिन्न जुदा पदार्थ अनुभवमें आता है या नहीं ? पुनः उन्होंने हूँकार भरा । तदनन्तर नमस्कार मन्त्रका श्रवण करते-करते आपके प्राण शरीरसे बहिर्गत हो गये। सबको दुख हुआ। पश्चात् आपका अन्तिम संस्कार किया गया। शोक सभा की गई जिसमें आपको और आपके परिवारको 'शान्तिलाभ हो' ऐसी भगवानसे प्रार्थना की गई। सब लोगोंके मुखसे आपकी प्रशंसामें यही शब्द निकलते थे कि बहुत ही शान्त थे । हजारीबागका ग्रीष्मकाल हजारीबागका जलवायु उत्तम है। ग्रीप्मकी बाधा भी वहाँ कम होती है इसलिये अन्तरङ्गकी प्रेरणा समझो या वहाँके लोगोंके आग्रहकी प्रबलता • कुछ भी कारण समझो, मैं वहाँ चला गया। बसंतीलालजीने अपने उद्यानमें ठहराया। सुरम्य स्थान है। यहाँ आकर गरमीके प्रकोपसे तो बच गया परन्तु अन्तरङ्गकी दुर्बलतासे जैसी शान्ति मिलनी चाहिये नहीं मिल सकी। सागरसे तार श्राये कि यहाँ सिंघई कुन्दनलालजीका स्वास्थ्य अत्यन्त खराव

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