Book Title: Meri Jivan Gatha 02
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 499
________________ मेरी जीवन गाथा लाल किरणें पड़ती हैं तव एक मनोहर दृश्य दिखाई देता है । लम्बी चौड़ी चट्टानें और वृक्षोंकी शीतल छायाएं ध्यानके लिये वलात् प्रेरणा देती हैं। धर्म साधनकी भावनासे यहाँ चारों तरफकी जनता सर्वदा आती रहती है। स्टेशन छोटा है पर कलकत्ताके मार्गमें होनेसे गाड़ियोंका यातायात प्रायः अहर्निश जारी रहता है। मोटरोंका आवागमन भी यहाँसे पर्याप्त होने लगा है। अगहन सुदी ६ को श्रीप्यारेलालजी भगत कलकत्तावालोंकी जयन्तीका उत्सव हुआ। आप विशिष्ट तथा ज्ञानवान् मनुष्य हैं। आश्रमके अधिष्ठाता हैं । २ बजे दिनसे जुलूस निकला और उसके बाद सभा हुई जिसमे श्रद्धाजलियां समर्पित की गई। स्कूलके छात्रोंको किसमिस वितरण की गई। श्रीगिरिराजकी वन्दनाका हृदयमें बहुत अनुराग था अतः अगहन सुदी १० को मधुवनके लिये प्रस्थान किया । वीचमे मटियो नामक ग्राममे रात्रि व्यतीत की। तदनन्तर प्रातः चलकर मधुवन पहुँच गये। द्वादशीको प्रातः वन्दनार्थ गिरिराज पर गये। साथ श्रीभगत सुमेरुचन्द्रजी, ७० नाथूरामजी तथा ७० मंगलसेनजी थे । यात्रियोंकी भीड़ बहुत थी। भक्तिसे भरे नर-नारी पुण्य पाठ पढत हुए पर्वतपर चढ़ रहे थे। जिस स्थानसे अनन्तानन्त मुनिराज कमेवन्धन काटकर निर्वाण धामको प्राप्त हुए उस स्थानपर पहुँचनेसे भावोंमे सातिशय विशुद्धता आ जाय इसमें श्राश्चर्य नहीं। शुक्ल पक्ष था अत. चारों ओर स्पष्ट चादनी छिटक रही थी। मागेके दाना ओर निस्तब्ध वृक्षपंक्ति खड़ी थी। श्रीकुन्युनाथ भगवानकी टोकपर पहुँच गये। सूर्योदय कालकी लाल लाल आभा यनोंकी हरी-भग चोटियोंपर अनुपम दृश्य उपस्थित कर रही थी। मम क्रममे ममम्न टोंकोंकी वन्दनाकर १० बजे श्रीपार्श्वनाथ भगवानके नियांगा म्यान.! पर पहुँच गये। वन्दना पूर्ण होनेपर हृदयमें अत्यन्न हर्पा

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