Book Title: Mere Divangat Mitro ke Kuch Patra Author(s): Jinvijay Publisher: Sarvoday Sadhnashram Chittorgadh View full book textPage 3
________________ अनुक्रम प्राक्कथन पृ० सं० १. श्री राजकुमारसिंह जी कलकत्ता के पत्र १-२१ २ स्व० कुमार श्री देवेन्द्र प्रसाद जैन के पत्र २२-३२ ३. इन्दौर निवासी श्री केशरीचन्द जी भंडारी के पत्र ३३-४३ ४. कलकत्ता निवासी बाबू श्री पूरणचन्दजी नाहर के पत्र ४४-६७ ५. स्व. रायबहादुर, महामहोपाध्याय प० श्री गौरीशकर, हीराचन्द ओझा के पत्र ९८-१२६ ६. पटना (विहार) के प्रख्यात पुरातत्व वेत्ता स्व० वाबू श्री काशीप्रसाद जायसवाल के पत्र १२७-१४८ ७. पजाब निवासी स्व०, प्रख्यात एपिग्राफिस्ट डॉ. हीरानन्द शास्त्री के कुछ पत्र १४९-१५७ ८. राष्ट्रभाषा हिन्दी के महान उन्नायक, सरस्वती के श्रेष्ठ सम्पादक स्व. पं. महावीर प्रसादजी के कुछ पत्र १५८-१६२ ६. जर्मनी निवासी, राष्ट्रभक्त, भारतीय संस्कृति के । अनन्य उपासक स्व. श्री ताराचन्द राय के कुछ पत्र १६३-१६६ १०. राष्ट्रभाषा हिन्दी के अनन्य उपासक, देशभक्त, उत्साही परिव्राजक स्वर्गीय स्वामी श्री सत्यदेवजी के कुछ पत्र १६७-१७२ ११. बौद्ध साहित्य के जगत् विख्यात विद्वान, हिन्दी भाषा के सुप्रसिद्ध लेखक महापडित, स्व. राहुल सांकृत्यायन के कुछ पत्र १७३-१७५Page Navigation
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