Book Title: Mantrakalpa Sangraha tatha Gandhar Jayghoshstotradi
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Mandavala Jain Sangh

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Page 156
________________ श्री ज्वालामालिनीस्तोत्र [१४६ ज्वालामालिनी ह्रीं क्लो ब्लू द्रां द्रीं ज्वलय २ र र र र र र र रां प्रज्वलय२, ह्रो प्रज्वल२ धग २धूमांधकारिणि ज्वलज्वलितशिखे, ह्रीं देवग्रहान दह २, नागग्रहान् दह २, यक्षग्रहान् दह २, राक्षसग्रहान् दह २, भूतग्रहान् दह २, व्यंतरग्रहान् दह २, सर्वदुष्टग्रहान् दह २, शतकोटीदैवतान दह २, सहस्रकोटिपिशाचराजान् दह २, घे घ स्फोटय २, मारय २, दहनाक्षि २, प्रलय २, धगधगितमुख, ज्वालामालिनी, ह्रां ह्रीं ह्र, ह्रौं ह्रः सर्वग्रहहृदयं दह २. पच २, छिदि २, भिदि २, हः हः हहाफट, घे घे धम्ल्यू."नों धीं थ धौं क्षः स्तंभय २ भव्यू, भ्रां भ्री ध्र भ्रः ताडय २, म्म्व्यूं मां म्री नम्रौं म्रः नेत्र स्फोटय २, दर्शय २, टम्व्यू', यां नी या नौं यः पोषय २, म्ल्व्यू "घ्रां नी व्रौं घ्रः जठरं भेदय २ इम्यू ". याँ यी झा छौं झः मुष्टिबंधनेन बंधय २, रक्ल्व्यूं स्त्रां स्त्री स्न स्त्रौं स्त्रः ग्रीवां भंजय २, छम्ल्यू छां छी छु,छौं छ': अन्त्राणि • छेदय २ ठम्ल्ब्यू ठा ठी ९. छौं छ: महाविद्युत्पाषाणास्त्रौर्हन २, म्यं ब्राँ वी व नौं व्रः समुद्रे मजयं २ ड्म्ल्यू ड्रां ड्री ड्रड्रौं ड्रः सर्वडाकिनीमर्दय २ सर्वयोगिनीस्तजय २ मम सर्वशत्र न ग्रस २ ख ख ख ख ख खादयर सर्वदैत्यान् विध्वंसय २ सर्वमृत्यूभाशय २, मम सर्वोपद्रवमहाभयं स्तंभय २, दह २, पच २, यः २ धम २ धरु २, खरु २, खडगरावणसुविद्यया घातय २, पातय २, सच्चंद्रहासशस्त्रेण छे दय २, भेदय २, करु २, छरु २, हरु २, फुट हा हा, आं क्रों क्ष्वीं ह्रीं क्ली ब्ल द्रों द्री त्रों क्षी क्षी क्षीक्षी ज्वालामालिनि आज्ञापयति स्वाहा ।। . इति श्री चन्द्रप्रभ स्वामिशासन भक्ता ज्वालामालिनीदेवतायास्स बोजा स्तुतिः रात्रीसुप्तेषु जनेषु त्रिष्पठिता मरकादिक्षुद्रोपद्रोपद्रव

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