Book Title: Mantrakalpa Sangraha tatha Gandhar Jayghoshstotradi
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Mandavala Jain Sangh

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Page 159
________________ मन्त्रकल्प संग्रह . [१५२ सव्वभूषाण दमणी, सव्वदेवाणुबंधबंधिया। ___ सव्वविघ्घाणाणुछिदिय, छिदिय सव्वे अणत्था उ ।।२५।। निक्वंतय २, दृढ़ाउ भरक भरके य । पणवं जालाजोहे, करालवाके य सव्वाणि ।।२६।। जंतारिण फोड फोडय, तह सव्वाउसिंखलामो तोडय २। ... असुरसुद्दादावयदो २ रुद्दमुत्ते य ।।२७।। पणवं मायापत्तिगिरि ते मम सयलपरममतस्स । ___ सव्वं अत्यं कुरु २ अन्ते हो माइयं जाण ।२८।।. पणवं हयार अह रेहसंजुया उवरि बिंदुसंजुत्ता। - बीय चउ छच्च अट्ठ य, दश बारस अणुकमेण सरा ॥२६॥ मम रक्ख २ पणवं, ह्रीं पत्तिगिरि नमो य करनासो। .. पणवं नमो य भैरव ॐ ह्रीं दूदयाय नम अन्ते ।।३।। ॐ ह्रो सिरिसि होमे, ॐ ह्रसिखाय बोषट नेयं । ' ॐ जलण ह्र कवचं, सिहि ॐ ह्रौं ने द्राय बषट्सन्ना ।।३।। ॐ ह्रः दिगु अस्त्राय फट, अंगनासं च त ह विहेयव्वं । तत्तो य रुद्दतासं पणवं तह बंभण नमह ॥३२॥ वित्हू रुद्दा ईसर, सदासिवुत्ति सिहाइ नम अन्ते । क्षिप उ स्वाहा तत्तपया रखायणुक्वमसो १३३।। रक्षामंत्रः । पणवं मायाखगमझपंचयं पुव्वणियसरजुत्तं । गणवइ नमो य अन्ते क्षयारपंच य तहा नेया ।।३४।। सिहि माय क्षेत्तय नमो ॐ ह्रीं विघणविछछदया य पडिहारा। ॐ ह्री सिद्धचामुडं, तेयो तेयमुहे ।।३५।। समहे घण्टे घण्टियादारे सच्चं च वय वय सहते। ॐ ह्रीं बटुनाथ नमो, देवीए मंडल ठवह ।।३६।। सुरहिदव्वेहिं लिहियं, रुप्पयकसंमि भायण जंत। पूएउ मंतेणं, तिन्नि दिणे एगचित्रोण ।।३७।। पच्छाण्हविऊण इमं, जस्स निमित्त संपाइयं विहिणा। सोअगएहि य मुच्चइ, मोगयजरमाइसवेहिं ।।३८।।

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