Book Title: Mantrakalpa Sangraha tatha Gandhar Jayghoshstotradi
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Mandavala Jain Sangh

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Page 176
________________ . श्री देलुल्लापुरस्तोत्रादि-मंत्रविधिसहितानि • मुच्यते ततः शोघ्र विक्रये भवतिलाभस्य इदं यंत्र लिखित्वा वालु क उपरि कृत्वा मध्यलंकार तत्मुखोपरि कृता इदमेव द्वितियंत्र कागदलित्वा नन्दप्रमीततन्तुभिर्दवरकं कृत्वा बालक उपरि वध्यते तदुपसम ॐनम ब्रह्माणनउ रक्ता क्षित्रिनु रक्त वैस्यनउ रक्तशुद्रनवो रक्त चण्डालनउ रक्त पाचइ पच पचई पीड करइ तउ स्वामीदेवतानी आज्ञा छ ६४ वार चच्चरधुलिमभिमंत्र्य खंडगादि प्रहार विकाश्य भ्रियते सस्त्रघातोपसमः । त्रिभिविशेषकं उत्तवीरमत्तिलद्वजवकखणसुद्दि ___ नरगउसामीमन्त्तपत्तघंडवीसहरलद्वीगौलाई अमहदीवभीईनिनासणतप्पर अछुणमंतिपहाबिहु अनुहजीणनामरवर ।।१५॥ सिरवर कुकर स्वीत्त बालमंत्रभयंकर दुठकठिणहियाच खगारवयं जति अत्तकरं । अठुत्तरसयलूणखंट हणमंत्तभीमांतिय हवणि समय ___ अरिजंतु जाई तुह नाह संरतीय ॥१६।। गवरिपुत्रयमंत्रजउगी जह मुस्सगा पति - रविदिण दुरिपलायजतितिलवहि खायंति । अंजण नंदण मत्तलगी पुण गछई . हरीहरमंत्रीण वुटिहाणि वच्छह जणईछई ।।१७।। नय रपयाहीरनीबासि सप्पह नीवासण आमन्त्रयशप्वजोअपेटउ विसारण । मीठउ राउण मन्त्रसिधि सुहप्पसबह कारण तह ___ तुहं सापूर्वं चतुष्मानियानि समागछति ॥१८॥ (युगलम्) ॐसचिचीक चडी श्रीमहादेवभरंडाकनई मइइ चीषलप्वाभाविकाद्दविघामुद्रिका करिष्यते परंताव्यं कारो नगलंती तथा क्रियते आस्ये पुन २ भण्यते दिव्यस्तंभ ॐनमोकलकुडक घाली घडईआज स्वामि छुटिइ तुज वडई आरइ वुक्याजाय परोण डाचु पाडइ तउ गोसांमिनी आणं वार ३ भणित्वा घटमध्ये करक्षेमु करोति परतन्द सति ॐ नमो अर्जनकाठइ अर्जुनप्रज्वलइ कंठइ रुध्योभार सो वन

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