Book Title: Mantra Sansar Saram
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Chandrodaya Charities
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गमनकेतु, गगनमणि, कला, कल्प, कल्पांत, कल्पांतक, कल्पांतकरण, कल्पकर, कल्पकृत्, कल्पक, कल्पकर्ता, कल्पितांबर, कल्याण, कल्याणकर, कल्याणकृत्, कलिकालज्ञ, कल्पवपु, कल्मषापह, ।।६।। कमलाकरबोधन, कमलानंद, गुण, गन्धवह, कुण्डली, गणपति, कच्चुकी, गुणवान्, गणेश, गणेश्वर, गणनायक, गुरुगृहद, गृह पुष, ग्रह पति, ग्रहे श, ग्रशेश्वर, ग्रहनाथ, ग्रह नक्षत्रमंडन, क्रियाहे तु, क्रियावान्, गरीयान्, किरीटी, कर्मसाक्षी, करण, किरण, कर्णसू, कृष्णावासा, कृष्णवा, कृतका ।८००। कृताहार, कृतांतसू, कृतातिथि, कृतात्मा, कृतविश्व, कृती, कृत्यकृत्य, कृतमंगल, कृतिनांवर, क्षांति, क्षुधाज, क्षेम, क्षेमस्थिति, क्षेमप्रिय, क्षमा, कश्मलापह, गतिमान्, लोहितांग, लोकाध्यक्ष, लोकालोकनमस्कृत, लोकबंधु, लोकवत्सल, लोकेश, लोककर, लोकनाथ, लोकसाक्षी, लोकत्रयाशय, लय, मासमानिदामा, मांधाता, मानी, मारुत, मार्तण्ड, माता, मातर, महाबाहु, महाबुद्धि, महाबल, महायोगी, महायशाः, महावैध, महावीर्य, महावराह, महावृत्ति, महाकारुणिकोत्तम, महामाय, महामंत्र, महान, महारथ, महास्वे(श्वे)ताप्रिय, महाशक्ति, महाशनि, महातेजा, महात्मा, मुहूर्त, महोत्साह, महे द्र, महेच्छ, महेश, महेश्वर, मिहिर, महित, महत्तर, मधुसूदन, मोक्षदायक, मोक्ष, मोक्षधर, मोक्षहे तु, मोक्षद्वार, मौनी, मेघा, मेघावी, मधिक, मेघ, मेरुमेय, मुकुटी, मनुमुनि, मंदार, मंदेहक्षेपण, मनोहर, मनोहररुप, मंगल, मंगलालय, मंगलवान, मंगली, मंगलकर्ता, मंत्र, मंत्रमूर्ति, मरीचिमाली, मृत्यु, मरुतामीश्वरेश्वर, मरुतांपति, मिष्टाचार, मति, मतिमान्, नाकार, नाकपालि, नागराट् , नारायण, नाथ, नभ, नभस्वान्, नभोविगाहन, नभकेतन, नूतन, नोत्तर, नयनकरुप, नैकरुपात्मा, नीलकण्ठ, नीललोहित, नेता, नियतात्मा, निकेतन, निक्षभापति, नंदिवर्धन, नंदन, नर, निराकुल, निरहंकार, निर्बन्ध, निर्गुण, निरंजन, निर्णय, नित्योदित, नित्य, नित्यगामी, निरंजन, नित्यरथ, राजा, राज्ञीप्रिय, राज्ञीपति, रवि, रविराज, रुचिप्रद, रुद्र, ऋद्धि, रोचिष्णु, रोगहा, रेणु, रेणुक (पा० रेणव), रेवंत, हृषीकेश, रक्षोध्न, रत्त्कांग, रश्मिमाली, रि(ऋ)तु, ।९००। रथाधीश ।।७।। रथाध्यक्ष, रथारुढ, रथपति, रथी, रथिनांवर, शांतिप्रिय, शास्व(श्व)त, साष्ठाक्षर, मन्त्रं संसार सारं...
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