Book Title: Manishiyo Ki Drushti Me Dr Bharilla Author(s): Ravsaheb Balasaheb Nardekar Publisher: P T S Prakashan Samstha View full book textPage 7
________________ समयसार का शिखरपुरुष मुझे तो ऐसा लगता है कि जैनदर्शन का मर्म समयसार में भरा है और समयसार का व्याख्याता आज आपसे (डॉ. भारिल्ल) बढ़कर दूसरा नहीं है। आपको इसका बहुत गूढ़ गंभीर ज्ञान भी है और उसके प्रतिपादन की सुन्दर शैली भी आपके पास है। ___यदि आपको आज की तिथि में समयसार का शिखरपुरुष घोषित किया जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं है। आज के समय में जब एक-दो बच्चों को पालना भी (संस्कारित करना) बहुत कठिन है, आपने सैंकड़ों बालकों को जैनदर्शन का विद्वान बनाकर भी समाज की महती सेवा की है, जो इतिहास में सदैव स्वर्णाक्षरों में लिखी जाती रहेगी। - राष्ट्रसंत आचार्य श्री विद्यानंदजी महाराज आत्मवित् होने की दिशा में प्रस्थान वर्तमान में कोई व्यक्ति आत्मवित् है - यह कहकर मैं अतिशयोक्ति करना नहीं चाहता; किन्तु निश्चयनय की गहराई तक पहुँचनेवाला व्यक्ति आत्मवित् होने की दिशा में प्रस्थान अवश्य करता है। डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल ने इस दिशा में प्रस्थान किया है; यह प्रसन्नता का विषय है। उन्होंने सत्य के रहस्यों को जानने और प्रकट करने के लिए निश्चयनय का बहुत आलम्बन लिया है। ___ यह उन जैन विद्वानों के लिए विमर्शणीय है, जो केवल व्यवहारनय के सहारे सत्य के रहस्यों का उद्घाटन करने का प्रयत्न करते हैं । व्यवहारनय की उपयोगिता को हम कम न करें और साथ-साथ निश्चयनय की उपेक्षा भी न करें। - आचार्य महाप्रज्ञ, जैन श्वेताम्बर तेरापन्थ के दशम आचार्यPage Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36