Book Title: Manishiyo Ki Drushti Me Dr Bharilla
Author(s): Ravsaheb Balasaheb Nardekar
Publisher: P T S Prakashan Samstha

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Page 24
________________ 22 मनीषियों की दृष्टि में : डॉ. भारिल्ल जैन शासन के स्तम्भ एक ही व्यक्ति में इतनी विशेषताएँ होना एक असाधारण व्यक्तित्व को ही सिद्ध करती हैं। साथ ही वर्तमान की भौतिक चकाचौंध में भी, अपने व्यक्तित्व का उपयोग भौतिक कामनाओं की पूर्ति में करने का भाव भी नहीं होना, यह तो इस युग में एक आश्चर्य ही है और आत्मार्थीपने का एक अनुकरणीय उदाहरण भी है। इस संस्था के लगभग 33 वर्षों के कार्यकाल में आज तक, डॉ. साहब ने कभी सुखापेक्षी भावना व्यक्त नहीं की। उनका रहन-सहन, व्यवहार सभी सीधा-सादा-सा, जैसा प्रारम्भ में था, वैसा ही अभी भी चला आ रहा है। ___संक्षेप में इतना ही कहना पर्याप्त है कि डॉ. साहब आत्मार्थिता के धनी, मन-वचन-काय से तत्त्वज्ञान के प्रचार में अपना जीवन समर्पित करनेवाले, किसी भी प्रकार के प्रलोभनों से आकर्षित नहीं होनेवाले, यथार्थ मार्ग के प्रखर एवं निर्भीक वक्ता व प्रचारक होने के साथ-साथ कुशल लेखक भी हैं। आपके द्वारा लिखित एवं सम्पादित साहित्य युगोंयुगों तक यथार्थ मार्ग अर्थात् यथार्थ जैनशासन को टिकाए रखने में स्तम्भ का कार्य करेगा। इतिहास इसकी साक्षी देगा। - नेमीचन्द पाटनी, महामंत्री पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर, बेलनगंज आगरा चतुर्मुखी प्रतिभा के धनी डॉ. हुकमचन्दजी भारिल्ल जैनजगत के लोकप्रिय प्रवक्ता, आकर्षक लेखक, रोचक सम्पादक, अध्यात्म के प्रमुख अध्येता, सफल संस्था संचालक एवं मनीषी तार्किक विद्वान हैं। पूज्य गुरुदेवश्री के पश्चात् तत्त्वज्ञान के प्रचार-प्रसार का श्रेय आपको

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