Book Title: Manishiyo Ki Drushti Me Dr Bharilla
Author(s): Ravsaheb Balasaheb Nardekar
Publisher: P T S Prakashan Samstha

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Page 27
________________ मनीषियों की दृष्टि में : डॉ. भारिल्ल १६ डॉ. साहब ने हम विद्यार्थियों पर लगातार पाँच वर्षों तक अथक् परिश्रम कर, विद्वान बनाकर महान उपकार किया है। डॉ. साहब मुमुक्षु भाई-बहिनों से कहते हैं - आप कच्चे माल के रूप में हमें एक विद्यार्थी दो, हम उसे सर्वप्रकार से पक्का करके उच्चकोटि का विद्वान बनाकर आपको सौंप देंगे - ऐसी कला के धारक हैं डॉ. साहब। वर्तमान में हमारी प्रथम बैच के विद्यार्थी ब्र. अभिनन्दनकुमारजी, पण्डित अभयकुमारजी, डॉ. श्रेयांस कुमारजी, पण्डित राकेशकुमारजी, पण्डित महावीरजी पाटिल, डॉ. सुदीपजी शास्त्री, पण्डित कमलेशकुमारजी, पण्डित राजकुमारजी इत्यादि का दिगम्बर जैन मुमुक्षु समाज में उच्चकोटि के विद्वानों में नाम लिया जाता है। यह सब डॉ. साहब का ही प्रशस्त प्रदेय है। आपके सान्निध्य में तैयार हुए हजारों विद्वानों का परम्परा से पंचमकाल के अन्त तक पूज्य गुरुदेवश्री के तत्त्वज्ञान को टिकाए रखने में योगदान रहेगा। तत्त्वज्ञान से इन विद्वानों का स्वयं का तो हित होगा ही, साथ-साथ परहित भी अलौकिक होगा। - ब्र. जतीशचन्द्र शास्त्री, सनावद ___ अध्यात्म के सजग प्रहरी वस्तुतः भारिल्लजी एक व्यक्ति नहीं, एक संस्था हैं। नई पीढ़ी के लिए आदर्शरूप में एक प्रेरक स्तम्भ हमारे समक्ष उपस्थित हैं। धन्य है जैनसमाज! अनन्य है यहाँ की रज, जिसने एक ऐसी विभूति को पाया, जो न सिर्फ अपने कल्याण में लगी हुई है; अपितु जिज्ञासुओं को सम्यक् दिशा की ओर अभिप्रेरित करने में सदा अग्रसर है। .. __कहते हैं कि दुनिया के लोग यश के लिए पागल होते हैं और अधिकांश लोग उसके पीछे-पीछे दौड़ते हैं; पर यह उनकी पकड़ में नहीं आता। कुछ ऐसे व्यक्ति भी हैं, जिनके पीछे यश भागता है; पर वे उसकी पकड़ में

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