Book Title: Manishiyo Ki Drushti Me Dr Bharilla
Author(s): Ravsaheb Balasaheb Nardekar
Publisher: P T S Prakashan Samstha
View full book text
________________
मनीषियों की दृष्टि में : डॉ. भारिल्ल
साथ ही अपनी भावना प्रेषित करते हैं कि इनका कार्य आगे बढ़े, कल्याण हो, इसीप्रकार सभी धर्मप्रचार करें। मेरा आशीर्वाद है।
- आचार्य श्री चन्द्रसागरजी महाराज
शिवसौख्यसिद्धि होवे 'गुणाः पूजास्थानं गुणेषु न च लिंगं न च वयः' आदरणीय विद्वद्रत्न जिनधर्मप्रसारक श्री डॉ. हुकमचन्दजी भारिल्ल एक उच्च कोटि के साहित्य भूषण, वक्ता, लेखक एवं जिनधर्म प्रसारक हैं। इनका देश, धर्म व समाज के उत्थान के लिए बड़ा योगदान हुआ है और हो रहा है, उससे मैं भी परिचित हूँ। ___'न धर्मो धार्मिकैर्विना' - ऐसे भव्यात्मा के लिए मेरा सवात्सल्य मंगल सद्धर्म वृद्धि-शुभाशीर्वाद है कि इन्हें स्वात्मोपलब्धि, शिवसौख्यसिद्धि की प्राप्ति होवे- इत्यलम्....।
- आचार्य श्री आर्यनन्दी महाराज समाज के दिशाबोधक मैंने डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल के प्रवचनों को अनेक बार सुना है तथा उनके द्वारा रचित साहित्य को पढ़ा है।
वे सिद्धहस्त लेखक हैं तथा अपने प्रवचनों से समाज को मंत्र-मुग्ध कर देते हैं। तत्त्वप्रचार के क्षेत्र में अग्रणी रहकर वे जिनवाणी की निरन्तर सेवा करते हुए समाज को दिशाबोध कराते रहें। मेरा उनको मंगल आशीर्वाद है।
- उपाध्याय श्री श्रुतसागरजी महाराज
प्रभावी प्रवक्ता डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल को हमने बहुत निकटता से तो नहीं देखा; किन्तु जयपुर में उनका भाषण सुनने का प्रसंग बना था। उनके बारे में हमारी धारणा यह बनी है कि डॉ. भारिल्ल एक विशिष्ट विद्वान व्यक्ति हैं, प्रभावशाली प्रवक्ता हैं, लेखक हैं। जैन-शासन को उन्होंने सेवाएँ दी हैं।

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36