Book Title: Manishiyo Ki Drushti Me Dr Bharilla
Author(s): Ravsaheb Balasaheb Nardekar
Publisher: P T S Prakashan Samstha

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ मनीषियों की दृष्टि में : डॉ. भारिल्ल हम उनके प्रति आध्यात्मिक मंगल-कामना करते हैं कि वे अपनी विद्वत्ता, वाक्-कौशल और लेखन कौशल से जैन-शासन की खूब प्रभावना करते रहें। - युवाचार्य महाश्रमण जैन श्वेताम्बर तेरापन्थ ज्ञानकुबेर : डॉ. भारिल्ल __ आज डॉ. भारिल्ल जैसे विद्वान खोजना बहुत दुर्लभ है, जिन्होंने अपने बच्चों एवं बच्चों के बच्चों को भी विद्वान बनाया है। मैं ऐसे अनेकों विद्वानों को जानता हूँ, जिन्होंने स्वयं तो ज्ञान का बहुत प्रचार किया; किन्तु वे अपनी ही आगामी पीढ़ी को विद्वान बनाने को तैयार नहीं है या नहीं बना सके। ____डॉ. भारिल्ल ने न केवल देश-विदेश में प्रचार करनेवाले 620 विद्वान बनाये; अपितु अपने परिवार के ही पुत्र-पुत्रियों, नाती-पोतों को विद्वान बनाकर अपने हृदय में ज्ञान की उत्कृष्ट महिमा को प्रदर्शित किया है। आपके परिवार के कुल 17 सदस्य विद्वान बनकर ज्ञान बाँटने का कार्य कर रहे हैं। ____ अद्भुत ज्ञान एवं उस तत्त्वज्ञान के प्रचार में आपके विशिष्ट योगदान को देखते हुए मैं आपको ‘ज्ञान-कुबेर' कहकर ही सम्बोधित करना चाहता हूँ। जो धन बरसावे वह धन कुबेर; जो ज्ञान बरसावे वह ज्ञानकुबेर, चूँकि आप ज्ञान बरसाते हैं; इसलिए आप ज्ञान-कुबेर हैं। - स्वस्ति श्री भट्टारक चारुकीर्ति स्वामीजी, जैनमठ, श्रवणबेलगाला (कर्नाटक) सभी की एकता में समाज का बहुत भला है डॉ. भारिल्ल सम्यग्दर्शन हैं, आचार्य विद्यानन्दजी सम्यग्ज्ञान हैं और आचार्य विद्यासागरजी सम्यक्चारित्र हैं; हमें इन तीनों को एक साथ रखना है और एक साथ देखना है। सभी की एकता में समाज का बहुत भला है। - भट्टारक श्री चारुकीर्तिजी, मूढ़बिद्री मठ ·

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36