Book Title: Manishiyo Ki Drushti Me Dr Bharilla
Author(s): Ravsaheb Balasaheb Nardekar
Publisher: P T S Prakashan Samstha

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Page 12
________________ 10 मनीषियों की दृष्टि में : डॉ. भारिल्ल प्रश्न - ‘क्रमबद्धपर्याय' आपको कैसी लगी? उत्तर - ‘क्रमबद्धपर्याय' संसार की वस्तुस्थिति का यथार्थ ज्ञान कराती है। दृष्टि की स्थिरता में मूल कारण क्रमबद्धपर्याय ही है। प्रश्न - महाराजश्री! आपने कानजी स्वामी को देखा है? उत्तर - भैया, प्रत्यक्ष तो नहीं देखा है। फोटुओं में अवश्य देखा है। प्रश्न - कानजी स्वामी के विषय में अपना दृष्टिकोण बताइए? उत्तर - हमें तो कानजीस्वामी का बहुत बहुमान है। आचार्य कुन्दकुन्द एवं अन्य आचार्य महानुभावों की अपेक्षा तो गौण है, पर उन्होंने वर्तमान के इस पंचमकाल में वस्तु तत्त्व के सत्य निरूपण का अद्वितीय कार्य किया है। उन्होंने गत 50 वर्षों में जो तत्त्व ज्ञान दिया है; वह 500 वॉट के लट्ट के समान वस्तुतत्त्व को यथार्थतः स्पष्ट प्रकाशित करता है। प्रश्न - महाराजश्री! डॉ. भारिल्ल के विषय में आपकी क्या राय है? उत्तर - भैया! कोई कुछ भी कहे, मुझे तो पूरे भारत देश में उनके समान अन्य कोई विद्वान दृष्टि-गोचर नहीं हुआ। प्रश्न - उनके व्यक्तित्व के विषय में आपके क्या विचार है? उत्तर - व्यक्ति की प्ररूपणा ही व्यक्ति का सच्चा परिचय कराती है। प्रश्न - महाराजश्री! डॉ. भारिल्ल की कौन-सी पुस्तक आपको सबसे अच्छी लगी? उत्तर - भैया, वे तो तार्किक विद्वान और कलम के धनी हैं। उन्होंने अध्यात्म और आगम की विषयवस्तु को अपने तर्कों, उदाहरण और दृष्टान्तों द्वारा सरलभाषा में स्पष्ट किया है। मैंने तो उनकी जो भी रचनाएँ पढ़ीं, वे सभी आगम अनुकूल ही लगीं। प्रश्न - आपने भारिल्लजी को कभी सुना है? उत्तर - कई बार उन्हें सुनने का अवसर मिला है। शिखरजी में शिविर के समय, सोनागिर में परमागम मन्दिर के शिलान्यास के समय

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