Book Title: Manishiyo Ki Drushti Me Dr Bharilla Author(s): Ravsaheb Balasaheb Nardekar Publisher: P T S Prakashan Samstha View full book textPage 8
________________ मनीषियों की दृष्टि में : डॉ. भारिल्ल आशीर्वचन डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल जिनवाणी के कुशल वक्ता, प्रखर स्वाध्यायी, प्रबुद्ध लेखक, अनुचिन्तक, आध्यात्मिक प्रवक्ता व दार्शनिक विचारक हैं। आप एक सिद्धहस्त लेखक ही नहीं, अपितु वीतरागवाणी के सटीक रचनाकार, व्याख्याकार व समर्थ उद्घोषक भी हैं। आपका योगदान सकल जैनसमाज के लिए ही नहीं, अपितु देश के लिए भी अमूल्य निधि है। ___ मैंने डॉ. भारिल्ल की समय-समय पर प्रकाशित विभिन्न कृतियों को पढ़ा है; जिसमें समयसार अनुशीलन, परमभावप्रकाशक नयचक्र, कुन्दकुन्द शतक, बारहभावना : एक अनुशीलन, क्रमबद्धपर्याय आदि-आदि हैं; जिससे यह अनुभव में आया है कि जिनवाणी के लेखन, पठन, मनन, स्वाध्याय में आपका योगदान अनुपम है। आप एक सच्चे आध्यात्मिक पुरुष हैं। मेरा वीतरागता का नारा है कि वीतरागता पूज्य है, वीतरागता धर्म है; वह नारा आपके साहित्य में पूर्णरूपेण वास्तविक रूप में सत्य व प्रत्यक्ष झलकता है। मेरा आत्मा, मेरा रोम-रोम आपके साहित्य को पढ़कर गद्गद् हो उठता है। अतः आपके लिए मेरे हृदय से, रोम-रोम से मंगल आशीर्वाद हर समय निकलता है। ____डॉ. भारिल्लजी ने बच्चों के कल्याण के लिए भी अत्यन्त सरल व सुबोध शैली में बालबोध पाठमाला, वीतराग-विज्ञान तथा तत्त्वज्ञान पाठमाला आदि अनेक कृतियाँ लिखी हैं; जो कि इनके मार्गदर्शन हेतु बेजोड़, अमूल्य व उपयोगी है। वीतराग भगवान की वीतरागवाणी को जन-जन के कल्याण व मार्गदर्शन हेतु पहुँचाने का जो आपका प्रयास है, वह अनुपम व सराहनीय है।Page Navigation
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