Book Title: Manav Bhojya Mimansa
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Kalyanvijay Shastra Sangraha Samiti

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Page 517
________________ ( ४६७ ) फल, बिम्बिफलादि, परूसक, हस्त प्रतrs, शाकमुष्टि, मूंली और निम्बमुष्टि भिक्षाचर्या में फिरते भिक्षु को मैंने दिया । खट्टी काखी, दोणि निमुज्जन, कमरबन्ध, अंसवर्त्तक, प्रयोग पट्ट, विभूपन, पंखा, मोरपिच्छ, छत्र, जूता, पूप, लड्डू, शाकशि, .........इन चीजों के दान से देव विमान की प्राप्ति बताई गई है । विमानवत्यु के उक्त उद्धरणों में कई ऐसे खाद्य पदार्थों को भिक्षुदेय बताया है, जो शायद बुद्ध के समय में वे ब्राह्म नहीं थे । जैसे कि गन्ना, तिम्बरू, ककड़ी, चीभड़ा, शाकमुष्टि, मूली आदि । इसी प्रकार प्रयोगपट्ट, तालवृन्त, मोरहस्तक, बत्र, जूता, आदि उपकरण प्रारम्भ में बौद्ध भिक्षु के उपकरणों में परिगणित नहीं थे, जो बाद में प्रहण किये गये। यही नहीं किन्तु उनके दान का फल स्वर्ग विमान की प्राप्ति बताया गया । अहं अन् विन्दस्मि बुद्ध सादिव बन्धुनो । प्रदासिं कोल संपार्क, कञ्जिकं तेल धूपितं ॥ ५ ॥ पिप्पल्या लसुणेन च, मिस्सं लाभञ्जकेन च । प्रदासिं उजुभूतस्मि, विप्पसन्नेन चेतसा ॥ ६ ॥ ( विमान वत्थु पृ० ३६ ) इन्दीवरानं हत्थकं अहमदासिं भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स । एसिकानं उपतस्मि नगरे बरे पेएयकते रम्मे ॥ १२ ॥ दातमूलकं हरीतपचं उदकम्हि सरे जातमहमदसिं । भिक्खुनो पिण्डाय परन्तस्स एसिकानं नगरे बरे एकते रम्मे ॥ १६ ॥

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