Book Title: Manav Bhojya Mimansa
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Kalyanvijay Shastra Sangraha Samiti

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Page 536
________________ ( ४८६ ) - अर्थात्-भगवान् लोकनाथ के निर्वाण होने पर निर्वाण स्थान पर आये हुए सात लाख भिक्षुओं के समक्ष संघ स्थविर आयुष्मान् . महाकश्यप को निर्वाण के सातवें दिन सुभद्र नामक वृद्ध भिन्नु ने कहा-हे आयुष्मन् शोक न करो इत्यादि। ____ उपयुक्त उद्धरण में बुद्ध निर्वाण के सातवें दिन निर्वाण स्थान पर एकत्रित हुए भिक्षुओं की संख्या सात लाख बताई है, तब अन्य मिनु संख्या कितनी होगी, सात दिन में तो पचास पचहत्तर कोश के अन्दर के ही भिक्षु आ सकते हैं, तब बुद्ध ने सारे उत्तर भारत में अपने धर्म का प्रचार किया था और बौद्ध भिक्षु उन सारे प्रदेशों में घूमा करते थे। इस स्थिति में “वाहिर निदान वर्णना" लेखक के मत से भिक्षुओं की संख्या कितनी होनी चाहिए, इसका पाठक गणं स्वयं विचार करेंगे। __ इसी प्रकार अशोक के समय में द्वितीय धर्म संगीति पर उपस्थित होने वाले भिक्षु भिक्षुणियों की संख्या का आंकड़ा बताते हुए बाहिर निदान वर्णनाकार ने निम्नलिखित वर्णन किया है देखिये तस्मि च खणे सन्निपतिता असीति भिक्खू कोटियो अहेसु भिक्खुनीनं च छन्नवुति सत सहस्सानि तत्थ खीणा सवा भिक्खू एव सत सहस्स संखा अहेसु। . (वाहिर नि० पृ०४६) अर्थ-उस मेले में अस्सी करोड़ भिक्षु एकत्रित हुए जिनमें क्षीणाव भितु ही एक लाख परिमित थे और भिक्षुणियां छयानवें लाख की संख्या में थी।

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