Book Title: Manav Bhojya Mimansa
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Kalyanvijay Shastra Sangraha Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 544
________________ .। कोई कहते हैं- सूकर महव का अर्थ सूअर मांस नहीं पर सूअरों द्वारा कुचला हुआ वाँस का अंकुर ऐसा होता है। - दूसरे कहते हैं-सूअरों द्वारा मर्दित भूमि भाग में उत्पन्न हुआ अहिच्छत्रक सूकर महव है। उपयुक्त पाँच मतों में से केवल बुद्धघोषाचार्य का मत ही सूकर महव-सूअर मांस ऐसा अर्थ मानता है शेष सभी सूकर महब को अत्यान्य पदार्थ होने का अपना अभिप्राय व्यक्त करते हैं। हमारी राय में इन पाँच मतों से एक भी मत प्राह्य प्रतीत नहीं होता। बुद्ध घोषाचार्य ने सूकर महव का सूकर मांस अर्थ किया, इसका एक ही कारण हो सकता है, वह यह कि उग्गगहपति द्वारा बुद्ध को सूअर का मांस दिये जाने का "अंगुत्तर निकाय" के पञ्चक निपात में उल्लेख मिलता है, परन्तु टीकाकार आचार्य ने बुद्ध की अवस्था और थोड़े समय पहले भुगती हुई बिमारी का विचार नहीं किया। बुद्दे तो क्या दूसरा भी समझदार मनुष्य अस्सी वर्ष की उम्र में पहुँच कर रोगशय्या से उठ चलता फिरला बन कर सूअर का मांस खाने की कभी इच्छा नहीं करेगा जो सूकरसहव का अर्थ गोरस से पकाया हुआ ओदन का मृदु भोजन बताते हैं यह विचार युक्तिसङ्गत हो सकता है। परन्तु चुन्द ने जब बुद्ध को भोजन का आमंत्रण दिया। उस समय धुद या उनके शिष्यों द्वारा यह सूचना मिलने का कोई प्रमाण नहीं मिलता कि भगवान बुद्ध की शारीरिक प्रकृति

Loading...

Page Navigation
1 ... 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556