Book Title: Manav Bhojya Mimansa
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Kalyanvijay Shastra Sangraha Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 546
________________ ( ४६६ ) बिमार अथवा दुर्बल मनुष्यों को इसका घृत शक्कर से बनाया . हुआ शिरा पेट भर खाने से तुरन्त हानि पहुँचती है, विशेष कर रक्तातिसार हो जाता है। कुद का यह खाना खाने के बाद बुद्ध का स्वास्थय तुरन्त बिगड़ गया और अवशेष सूकर महब को गड्डे में डाल देने की सूचना दी। इससे हमारी दृढ़ धारण हो गई है कि वह सूकर महव और कोई नहीं पर सूकर कन्द का शिरा ही था । जिसने बुद्ध की निर्बल आंतों में अपना दुष्प्रभाव डाल कर स्वास्थ्य बिगाड़ दिया। .... ___ चुन्द के इस भोजन वाले प्रकरण को नीचे उद्धृत कर हम हमारे, इस मन्तव्य को विशेष समर्थित करेंगे।- "अर्थ खो चुन्दो कम्मार पुत्तो तस्सा रत्तिया अञ्चयेन सके निवसने पणीत खादनीयं भोजनीयं पटियादापेत्वा पहुतं च सूकर महवं भगवतो कालं आरोचायेसि" कालो भंते ! निहित भत्तति । अथ खो भगवा पुम्बण्डसमयं निवासेत्वा पत्तचीवरं आदाय सहि मिकखुसंघेन येम चुन्दस्स कम्मारपुत्तस्स निवेसनं तेनुप. संकमि, उपसंकमित्वा पवते आसने निसीदि निसज्ज खो भगवा चुन्दं कम्मारपुत्तं पामतेसी-यं ते चुंद सूकर-महवं पटिबत्तं तेन म परिविस यापनख खादनीयं भोजनीयं पटियत्त तेन भिक संघ परिविसाति । एवं भत्तति खो चुंदो कम्मार पुत्तो भगवतो मटिरभूत्वायं। होसि सूकरमरूपं पटियस तेम भगवंतं

Loading...

Page Navigation
1 ... 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556