Book Title: Manav Bhojya Mimansa
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Kalyanvijay Shastra Sangraha Samiti

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Page 548
________________ ( ४६८) गया और भोजन का समय होजाने की सूचना दी । तब भगवान् पूर्वाह्न समय के अन्त में अपने वस्त्र पात्र साथ में ले भिक्षुसंघ के साथ चुंदके घर गये और बिछाये हुए श्रासन पर बैठ गये, उस समय भगवान ने चुन्द को बुला कर सूकर मद्दव अपने पात्र में पिरसने की सूचना की और अन्य खादनीय भोजन भिक्षु संघ को देने आज्ञा दी । यह सुन कर चुन्द ने भगवान की सूचना को स्वीकार किया और सूकर मद्दव भगवान् को पिरसा तथा अन्य खादनीय भोजन भिक्षु संघ को । भोजनोत्तर भगवान् ने चुन्द को बुला कर कहा कि हे चुद ! देव, मार और ब्रह्मा से युक्त इस लोक में श्रमण ब्राह्मणात्मक प्रजा में तथा देव और मनुष्यों में ऐसा किसी को मैं नहीं देखता कि तथागत के बिना दूसरा कोई इस सूकर महव को खाकर पचा सके । अतः शेष रहे सूकर-का मदव कोगडा खोदकर उसमें डाल दो, चुन्द ने बुद्ध को इस आज्ञा को स्वीकार किया। अवशिष्ट सूकर महब को एकान्त में खड्डा खोदकर जमीनदोज कर दिया और पुर को अभिवादन कर उनके पास आकर बैठ गया, भगवान् आसन से उठ कर रवाना हुए । , चुन्द लोहार का वह खाना खाने पर भगवान् को कठोर उदर व्याधि उत्पन्न हुआ और खून के दस्त शुरू हुये, बड़े जोरों की मारणान्तिक वेदना उत्पन्न हुई। अब भगवान् ने आयुष्मान् आनन्द को बुला कर कहा हे आनन्द अब कुशिनारा को जायेंगे, आनन्द ने भगवान् के विचार का अनुमोदन किया।

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