Book Title: Mahavira ri Olkhan
Author(s): Hansraj Baccharaj Nahta
Publisher: Anupam Prakashan

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Page 7
________________ आपणी और सूं भगवान महावीर ₹ २५००वे परिनिर्वाण बरस रै सुभ अवसर पर उणां रै जीयन अर उपदेसां पर राजस्थानी भाषा में लिख्योड़ी या पोथी पाठकां रै सामें प्रस्तुत करतां म्हनै घणो हरख पर उमाव है । प्रभु महावीर लोक धरम रा नायक हा । वारो धरम किणी जाति या वर्ग विशेष खातर नी हो । वां सगळा लोगां ने आपणो जीवन नैतिक अर पवित्र वणवण खातर उण वगत री लोक भाषा अर्ध मागधी (प्राकृत) में आपणा उपदेस दिया। ___ हर मिनख प्रापणी वोली में कह्योड़ी वात वेगो समझ जावै । उणरो असर भी वी पर घणो टिकाऊ हुवे । ओ इज कारण हो के प्रभु महावीर र सम्पर्क में जै भी आया वै उरणां रै उपदेसां सूआपणो जनम-मरण सुधारण खातर भोग मारग सू त्याग मारग कांनी वढ्या । राजस्थानी भाषा र प्रति सरु सूई म्हारो लगाव रह्यो। म्हारै मन में विचार आयो के जै प्रभु महावीर री जीवन-गाथा अर इमरत वाणी कदास राजस्थानी भाषा में प्रस्तुत की जावे तो अठारा लोगो पर उणरो गेहरो असर पड़ेला । इणीज भावना सू प्रेरित होय'र म्हैं आ पोथी लिखी।

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