Book Title: Madhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Author(s): Rajesh Jain Mrs
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 467
________________ ४४४ : मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्म एवं १० गुटके हैं । १७वीं से १९वीं शताब्दी के मध्य का पुराण, चरित, कथा और स्तोत्र साहित्य यहाँ उपलब्ध है। इस भण्डार का प्राचीनतम ग्रन्थ १४२९ ई० में प्रतिलिपि किया गया श्रुतसागर द्वारा संस्कृत में रचित 'व्रतकथा कोष' है। हिन्दी एवं राजस्थानी की दुर्लभ रचनाओं में-ठक्कुर कवि कृत 'चिंतामणि जयमाल' एवं 'सीमंधरस्तवन', पल्ह कवि कृत गीत एवं 'आदिनाथ स्तवन', सिंहनन्दिकृत 'नेमीश्वर चौमासा' एवं 'चेतनगीत', रत्नकीर्ति कृत 'नेमिश्वर रास' एवं 'नेमिश्वर हिंडोलना', हेमराज कृत 'द्रव्य संग्रह भाषा', डालूराम कृत 'चतुर्दशी कथा' हैं, १५७२ ई० में रचित डूंगर कवि की 'होलिका चौपाई' का परिचय प्रथम बार इसी भण्डार में मिलता है। संस्कृत ग्रन्थों में उमास्वामी विरचित 'पंच परमेष्ठी स्तोत्र' महत्त्वपूर्ण है । अन्य प्राचीन प्रतियाँ 'विमलनाथ पुराण', गुणभद्राचार्य कृत 'धन्य कुमार चरित' (१५९५ ई०), 'विदग्ध मुखमंडन' (१६२६ ई०), 'सारस्वत दीपिका' (१६०० ई०), धनंजय कृत 'नाममाला' ( १५८६ ई०), अमितगति कृत 'धर्म परीक्षा ( १५९६ ई० ) आदि उल्लेखनीय हैं। बनारसीदास कृत 'समयसार' नाटक ( १६४७ ई०) भी यहाँ उपलब्ध है। (ठ) श्वेताम्बर जैन ग्रन्थ भण्डार, जयपुर : कुंडीगरों का भेरू जी का रास्ता में स्थित जैन उपाश्रय में यह बड़ा भण्डार है 'जिसमें ३५०० ग्रन्थ संग्रहीत हैं। प्राचीनतम ग्रन्थ 'अनन्तलिया सूत्र' है जो १४२८ ई० में प्रतिलिपि किया गया था। अन्य प्राचीन ग्रन्थ-१४५२ ई० में प्रतिलिपिकृत 'आचारांग' बालावबोध और १४४७ ई० में प्रतिलिपिकृत पार्श्वनाथ चरित्र' हैं। (ड) नया मन्दिर का ग्रन्थ भण्डार : यह भण्डार भौमियों के रास्ते में स्थित नये मन्दिर (राठियों के मन्दिर ) में संग्रहीत है । इसमें १५० हस्तलिखित ग्रन्थ हैं जिनमें वीरनन्दि कृत 'चन्द्रप्रभ चरित' की १४६७ ई० की तैयार प्रतिलिपि सबसे प्राचीन है । यहाँ के कतिपय उल्लेखनीय ग्रन्थगुणभद्राचार्य कृत 'उत्तर पुराण' (१५४९ ई० ), ब्रह्मजिनदास कृत 'हरिवंश पुराण' (१५८४ ई०), दीपचन्द कृत 'ज्ञानदर्पण', लोकसेन कृत 'दश लक्षण कथा', ब्रह्मजिनदास कृत 'अठावीस मूल गुण रास' एवं 'दान कथा' तथा ब्रह्म अजित का 'हंस तिलक रास' और राजहंसोपाध्याय की 'षष्ठ्याधिक शतक' की टीका ( १५२२ ई० ) आदि महत्त्वपूर्ण हैं। यहाँ कुछ ग्रन्थों की स्वर्णाक्षरी प्रतियाँ भी हैं। इन प्रतियों पर अद्भुत बेलबूटे चित्रित हैं। (ढ) चौधरियों के दिगम्बर जैन मंदिर का शास्त्र भण्डार : यह भण्डार बर्बोली के कुए के पास चौकड़ो मोदीखाना में स्थित मन्दिर (नेमिनाथ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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