Book Title: Madhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Author(s): Rajesh Jain Mrs
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 474
________________ जैन शास्त्र भंडार : ४५१ के अलावा सोहनलाल काला, कनकमल बोहरा और नन्दलाल गुरासा के व्यक्तिगत संग्रह भी हैं । १५. सीकर का ग्रंथ भंडार : इस शहर में ५ जैन मंदिर हैं जिनमें सभी में कुछ हस्तलिखित ग्रन्थ हैं किन्तु अच्छे संग्रह की दृष्टि से बीस पंथियों का मंदिर विशेष महत्त्वपूर्ण है । इसमें ग्रन्थों की कुल संख्या ५३२ है जो सभी कागज पर हैं । वैसे तो यहाँ संस्कृत एवं प्राकृत के भी ग्रन्थ हैं किन्तु राजस्थानी भाषा व हिन्दी के ग्रन्थों का आधिक्य है । १६. दौसा के ग्रन्थ भंडार : यहाँ के २ जैन मंदिरों में ग्रन्थ भंडार हैं । दिगम्बर जैन बीसपंथी मन्दिर के शास्त्र भण्डार में १७७ ग्रन्थ हैं जिनमें गुटके भी सम्मिलित हैं । मुख्य ग्रन्थ 'परमहंस चौपाई ' ( रायमल्ल), 'श्रावकाचार रास' (जिनदास), 'यशोधर चरित' (पूर्णदेव), 'सम्यक्त्व कौमुदी' भाषा (दयानन्द ) आदि ग्रन्थों के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं । 'विल्हण शशिकलाप्रबन्ध' १७वीं शताब्दी की एक सुन्दर कृति है जो कवि सारंग की हिन्दी एवं संस्कृत टीका सहित है । दिगम्बर जैन तेरापंथी मन्दिर, दौसा में १५० ग्रन्थ हैं । अधिकांश ग्रन्थ अपभ्रंश एवं हिन्दी के हैं । अपभ्रंश ग्रन्थों में लाखू कृत 'जिणयत्त चरिउ', श्रीधर कृत 'सुकुमाल चरिउ', जयमितहल कृत 'बड्ढमाण कहा', घनपाल कृत 'भविसयत्त कहा', पुष्पदन्त कृत 'महापुराण' के नाम उल्लेखनीय हैं । अन्य ग्रन्थों में अखयराज श्रीमाल कृत 'चौदह गुणस्थान चर्चा', सारंग कृत 'विल्हण चौपाई, समयसुन्दर कृत 'प्रियप्रेलक चौपाई', हीरकलश कृत 'सिंहासन बत्तीसी' आदि महत्वपूर्ण हैं | १७. मौजमाबाद का शास्त्र भण्डार : इस भण्डार में लगभग ४०० ग्रन्थ हैं । ये ग्रन्थ प्राकृत, अपभ्रंश, संस्कृत, राजस्थानी एवं हिन्दी में हैं । प्राचीनतम ग्रन्थ कुन्दकुन्द का 'प्रवचनसार' है, जो १५वीं शताब्दी में की गई प्रतिलिपि है । इस भण्डार में पुष्पदन्त कृत 'जसहर चरिउ' की दो सचित्र प्रतिलिपियाँ भी हैं। ऐसी अपभ्रंश की चित्रित प्रतियाँ अन्यत्र उपलब्ध नहीं होतीं । 'जिनेन्द्र व्याकरण', अमरकीर्ति कृत 'षट्कर्मोपदेश रत्नमाला', आशाधर कृत “त्रिषष्ठि स्मृति शास्त्र', अमितगति कृत 'योगसार', योगदेव कृत 'तत्वार्थं सूत्र टिप्पण', - प्रभाचन्द्र कृत ' आदिनाथ पुराण टिप्पण' आदि अन्य महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ हैं | यहाँ लाखा चारण टीका वाली 'कृष्ण रूक्मिणी बेलि' की पांडुलिपि भी है, जो अन्यत्र उपलब्ध नहीं होती । १८. दिगम्बर जैन मन्दिर शास्त्र भण्डार, नरायणा : यहाँ पर हस्तलिखित ग्रन्थों की संख्या ५१ है, जिसमें बड़े मन्दिर में ३६ तथा छोटे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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