Book Title: Madhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Author(s): Rajesh Jain Mrs
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 483
________________ __ ४६० : मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्म इस प्रकार राजस्थान की धरती अपने कलेवर में ज्ञान भण्डारों के माध्यम से ज्ञान के अनूठे रत्न छिपाये हुए हैं। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण जैसलमेर के भण्डार हैं जो दुर्लभ ताड़पत्रीय ग्रन्थों एवं काष्ठ फलकों के लिये प्रसिद्ध हैं। छोटे-छोटे ज्ञान भण्डारों में अधिकांशतः श्रावक वर्ग से सम्बन्धित धार्मिक विषयों की सामग्री संग्रहीत है। बड़े शास्त्र भण्डार ज्ञान विज्ञान की दृष्टि से बड़े महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इनमें न केवल अजैन लेखकों की कृतियाँ मिलती हैं अपितु ज्योतिष, वैद्यक, व्याकरण, खगोल आदि के भी अमूल्य ग्रन्थ संग्रहीत है। कुछ शास्त्र भण्डार अज्ञात हैं तथा कुछ वर्गीकृत एवं सूचीकृत भी नहीं है । कतिपय विद्वान् एतदर्थ कार्यरत हैं। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International


Page Navigation
1 ... 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514