Book Title: Madhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Jain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi

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Page 12
________________ प्रकाशकीय हमें हर्ष होता है कि आज हम पाठकों के करकमलों में जैन वाड़.मय के मर्धन्य विद्वान शास्त्री श्री हीरालाल जी दुग्गड़ द्वारा लिखित "मध्य एशिया और पंजाब में जैनधर्म" नामक जैन इतिहास का ऐसा अनुपम ग्रंथ उपस्थित कर रहे हैं जिस विषय पर आज तक किसी भी विद्वान ने लिखने का प्रयास नहीं किया । जिन-जिन विद्वद् महानुभावों ने इसकी पांडुलिपि का अवलोकन किया है उन सबने इसे भारतीय इतिहास का, विशेष रूप से जैन इतिहास का संदर्भ ग्रंथ (Encyclopidia) कहा है। श्री दुग्गड़ जी ने इस ग्रंथ को लिखने का कितना पुरुषार्थ और परिश्रम किया है, कितना विशाल और प्रौढ़ बनाया है; इतिहास की प्रच्छन्न कितनी कितनी परतों को खोला है; जैन इतिहास के साथ कई भारतीय तथा विदेशी विद्वानों द्वारा किये गये खिलवाड़ का ऐतिहासिक, शास्त्रीय तथा ताकि क ढंग से केसा समाधान किया है ; कितनी नयी-नयी शोध खोज की है; इसका पूर्ण परिचय तो पाठक तभी जान पायेंगे जब वे इस इतिहास ग्रंथ का आद्योपांत मनन पूर्वक पठनपाठन करेंगे। यह भारतीय इतिहास की उस श्रृंखला की कड़ी है जिसकी आज तक इतिहासकारों ने उपेक्षा की है । विशेष रूप से जैन इतिहास का तो यह एक अलौकिक ग्रंथ है ही परन्तु भारतीय इतिहास के विद्यार्थियों के लिये श्री दुग्गड़ जी की यह एक अनुपम देन है। श्री दुग्गड़ जी की यह तीसवीं पुस्तक प्रकाशित हो रही है। इस ग्रंथ रत्न का प्रचार व प्रसार होकर भारत के जन-जन के हाथ में पहुँचे, सरकारी पुस्तकालयों, विश्वविद्यालयों की लायब्रेरियों तथा विदेशों में भी सर्वत्र इसका प्रसार हो, जिससे इतिहास शोधकर्ता विद्यार्थियों को भी मार्गदर्शन मिले । विद्वद्जनों के परिश्रम की कद्र विद्वद जन ही कर सकते हैं और यह ग्रंथ विद्वानों के पठन-पाठ के लिए भी अत्यंत उपयोगी है यह बात संदेह रहित है । इस ग्रंथ के प्रकाशन करने का गौरव हमें प्राप्त हुआ है इसके लिये हम श्री दुग्गड़ जी के माभारी है। के. बी. प्रोसवाल अध्यक्ष श्री जैन प्राचीन साहित्य प्रकाशन मंदिर कला निकेतन E/31 मानसरोवर पार्क ___ शाहदरा-दिल्ली ११००३२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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