Book Title: Life Style
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 127
________________ Eternal Beauty साक्षा साक्षी अर्थात् तटस्थता। तटस्थ का अर्थ है किनारे पर बैठकर लहरों को देखते रहना। जो भी है उसे जानना एवं देखना किन्तु निर्णय नहीं लेना क्योंकि जैसे ही हमने कुछ निर्णय लिया तो राग-द्वेष की यात्रा प्रारंभ हो जाएगी। जिसे हम बुरा कहेंगे उसे हम सामने लाना न चाहेंगे और जिसे अच्छा कहेंगे उसे सामने से हटाना नहीं चाहेंगे। आत्मा का स्वभाव भी ये ही बताया गया - ज्ञाता और दृष्टा अर्थात् जानो और देखो किन्तु किसी भी वस्तु, व्यक्ति या स्थिति से जुड़ो मत। जैसे खेल में खेलने वाले और देखने म वाले में बड़ा फर्क होता है। खेलने वाला तो खेल में तल्लीन हो रहा है। खेल में उसकी हार होती है तो वह दुःखी होगा और जीत होगी तो खुश होगा। देखने वाला दर्शक चुपचाप देख रहा है। जीवन के खेल में हम २४ घंटे खिलाड़ी बनकर हर घटना से जुड़ते हैं, दर्शक तो हम कभी बनते ही नहीं। ज्ञानी कहते हैं शरीर में कहीं दर्द है तो ऐसा मत मान लेना कि मुझे दर्द हो रहा है, अपितु आँखे बंद करके जहाँ दर्द है उसे दर्शक बनकर देखते जाना। देखते-देखते दर्शक दृश्य से अलग होता जाएगा क्योंकि दृष्टा और दृश्य एक नहीं हो सकते। यदि ऐसा साक्षी भाव सध जाए तो दर्द स्वयमेव विलीन हो जाएगा। 110 117 For Private & Personal Use Only अण्णे पुग्गलभावा अण्णोऽहं ।। Jain Education Intemational www.jainelibrary.org

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