Book Title: Life Style
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 149
________________ चलना कोई महत्त्वपूर्ण क्रिया नहीं...... महत्त्वपूर्ण है लक्ष्य की ओर चलना। बाण यदि लक्ष्य को बींधता है, गोली यदि निशाने पर लगती है तो उसका महत्व है अन्यथा बाण का बींधना या गोली का चलना दूसरे अनर्थ भी पैदा कर सकता है। लक्ष्य को प्राप्त करना ऐसा है जैसे एक योद्धा का। सुसज्जित होकर युद्ध में जाना। युद्ध को जीतना ही एकमात्र उसके जीवन का अहम् सवाल होता है। अन्तस् की तीव्र चाह हो और बाहर में सच्ची राह मिल जाए तो लक्ष्य की प्राप्ति सुगम हो जाती है। यदि चाह कुनकुनी हो तो लक्ष्य बदल जाने की अनेक संभावनाएँ बन जाती हैं। चाह में तीव्रता तो आ गई परंतु राह गलत है तो मंजिल दूर हो जाने से भीतर का उत्साह भी ठंडा हो जाता है और ऊर्जा भी मंद पड़ जाती है। जो यात्री लक्ष्य को केन्द्र बनाकर जीवन की परिधि में रहे हए समस्त साधन तथा सूचनाओं को बटोर कर चलता है, वही आँधीतूफानों से लड़ता हुआ मंजिल तक शीघ्र पहुँच जाता है।। यदि कोई यात्री लक्ष्य से भटक कर दो कदम भी गलत दिशा में चल पड़ता है तो वह चाहे सारी जिन्दगी भी। चलता रहे किन्तु मंजिल को नहीं प्राप्त कर सकेगा अतः लक्ष्य के प्रति एकाग्रता भी अनिवार्य है। प्रणिधानकृतं कर्म भवेत्तीविपाककृत् ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org39

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