Book Title: Life Style
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 178
________________ ११ वितर स्मितोज्ज्वलं दृशम् १६ हास्य बर्नाड शॉ ने लिखा है, हँसी की सुंदर पृष्ठभूमि पर ही जवानी के प्रसून खिलते हैं। आज के तनाव भरे वातावरण और जीवन में बढ़ती जटिलताओं ने व्यक्ति से उसकी हँसी छीन ली है। रोज – रोज पैदा होती दुशवारियों में वह हँसना भूल गया है। इससे तनाव व परेशानियां कम होने के स्थान पर बढ़ी है, क्योंकि हँसी व्यक्ति के मस्तिष्क पर छाई तनाव की चादर को दूर हटाती है और उसमें जीने का उमंग तथा उत्साह पैदा होता है। महात्मा गाँधी तनाव के क्षणों में भी मजाक करने से नहीं चूकते थे। उनका कहना था यदि वे हँसना नहीं जानते तो कब के पागल हो जाते। प्रसन्नता परमात्मा की दी हुई औषधि है, एक ऐसी औषधि, जिससे हरेक मनुष्य को स्नान करना चाहिए। आवश्यकता से अधिक चिंता जीवन का कूड़ा है। इसे धोने के लिए प्रसन्नता की नितांत आवश्यकता है। प्रसन्नता जीवन का प्रभात है। यह शीतकाल की मधुर धूप है तो ग्रीष्म की तपती दुपहरी में सघन छाया। इससे आत्मा खिल उठती है, इससे आप तो आनंद पाते ही है, दूसरों को भी आनंद प्रदान करते हैं। प्रसन्नता पीड़ा का शत्रु हैं, निराशा और चिंता का इलाज और दुःख के लिए रामबाण है। इसलिए खूब प्रसन्न रहे और दूसरों को भी प्रसन्न करे। 6 Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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