Book Title: Life Style
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 169
________________ AND THIS HOUSE IS NOT A HOME प्रयास {{ अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह {{ एक पंछी पिंजरे में बंद हो और उसे मुक्त करने के लिए किसी व्यक्ति ने उस पिंजरे का दरवाजा खोल दिया हो, उस समय यदि वह पंछी स्वयं के पंखों को न खोले और उड़ने का प्रयास न करे तो पिंजरे का दरवाजा खुलने पर भी उसे कोई लाभ नहीं हो सकता । अँधेरे में बैठे किसी आदमी के सामने यदि कोई जगमगाता दीपक रख भी दे पर वह खुद की आँखों को ही न खोले तो क्या लाभ? कुँए में गिरे हुए व्यक्ति को निकालने के लिए कोई अपने हाथ का सहारा दे किन्तु वह पतित व्यक्ति उसके हाथ को ही न पकड़े तो सहायता के लिये बढ़ाये गए हाथ से कोई लाभ नहीं होगा। स्पष्ट है कि जब तक स्वयं द्वारा कुछ प्रयास नहीं किया जाएगा तब तक दूसरों का दिया गया सहारा कामयाब नहीं हो सकता। बिना प्रयास के तो मिला हुआ भाग्य भी नहीं खुलता। John Beroze ने कहा है - "मैं समय और भाग्य के विरूद्ध कोई भी शिकायत नहीं करता क्योंकि जो कुछ मैं चाहता हूँ वह मुझे अपने प्रयास से मिल जाया करता है।" जिस काम को आप कर सकते हो या कल्पना करते हो कि आप कर सकोगे उसको आरंभ कर दो। सिर्फ काम में जुट जाओ, मस्तिष्क में वेग आ जाएगा। आरंभ करो, कार्य अवश्य समाप्त होगा । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org 159

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