Book Title: Life Style
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 165
________________ वचन की चोट इतनी गहरी है कि तन पर कहीं भी उसका प्रहार दिखाई नहीं देता किन्तु मन पर गहरे घाव हो जाते हैं। आश्चर्य तो यह है कि उन घावों की मरहम पट्टी भी उसी वचन के पास है जिसने घाव दिए हैं। वे ही वचन यदि स्निग्ध, मधुर और क्षमा भाव के साथ निकलते तो वे मारक शब्द तारक बन सकते थे, वे प्रहारक वचन उद्धारक बन सकते थे। एक जापानी कहावत है - तीन : इंच की जीभ छः फुट लंबे आदमी का कत्ल कर सकती है। यदि वाणी मेघ बनकर बरसे तो सर्वत्र मिठास बिखेरती है। यदि पवन बनकर चलती है तो शीतलता का अहसास कराती है और प्रकाश बनकर फैलती है तो यश-कीर्ति का ताज पहना देती है। इसलिए कहा है - जीभ को इतनी तेज मत चलाओ कि वह मन . से आगे निकल जाए। सोच समझकर बोलने वाला व्यक्ति हाथी पर चढ़ता है और बिना विचारे बोलने वाला हाथी के पैरों तले रौंदा जाता P है। सुकरात ने कहा है - ईश्वर ने हमें दो कान दिए हैं और आँखें परन्तु जुबान " केवल एक इसलिए दी कि हम अधिक सुनें और बहुत अधिक देखें लेकिन बोलें बहुत कम । यदि शब्द का दुरुपयोग किया जाए तो वे जीवन को कीचड़ के समान बना देते हैं और सदुपयोग करो तो जीवन को इंद्रधनुष के समान रंग बिरंगी बना देते हैं। {{ पियं पथ्यं वचस्तथ्यं सुनृतव्रतमुच्यते । 155 www.jainelibrary.org, Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only

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