Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi Part 01
Author(s): Vishvanath Shastri, Nigamanand Shastri, Lakshminarayan Shastri
Publisher: Motilal Banrassidas Pvt Ltd

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Page 6
________________ हैं। अष्टाध्यायी पर महामुनि कात्यायन का विस्तृत वार्तिक ग्रन्थ है और स्त्र क्या बार्तिकों पर भगवान् पतजलि का विशद विवरणात्मक ग्रन्थ महाभाष्य है। संक्षेप में सूत्र, वार्तिक एवं महाभाष्य तीनों सम्मिलित रूप में पाणिनीय व्याकरण कहलाता है और सूत्रकार पाणिनि, वार्तिककार कात्यायन एवं भाष्यकार पतञ्जलि तीनों व्याकरण के त्रिमुनि कहलाते हैं। भगवान् पाणिनि का परिचय और समय "त्रिकाण्ड शेष” कोष में पाणिनि के छह नाम पाये जाते हैं—पाणिनि, अाहिक, . दाक्षीपुत्र, शालकि, पाणिन और शालातुरीय। इनमें पाणिन और पाणिनि दोनों गोत्र-व्यपदेशज नाम हैं। "अाहिक" पाणिनि का मूल नाम प्रतीत होता है किन्तु प्रसिद्ध सर्वत्र गोत्र नाम (पाणिनि ) से ही हुई । महाभाष्यकार पतञ्जलि भी स्थानस्थान पर इसी नाम से स्मरण करते हैं__"कथं पुनरिदं भगवतः पाणिनेराचार्यस्य लक्षणं प्रवृत्तम्"। "सर्वे सर्वपदादेशा दाक्षीपुत्रस्य पाणिनः" । 'दाक्षीपुत्र' नाम मातृनामज है और शालकिनाम पितृनामज है जिससे यह समझा जाता है कि पाणिनि के पिता का नाम 'शल? या शलङ्क था। 'शालातुरीय' नाम अमिजन हेतुक है। ____ इस छोटी सी नामावलि से यह निष्कर्ष निकलता है कि पाणिनि का गोत्र-प्रवत्तक . मूल पुरुष कोई पाणिन् अथवा पणिन् नाम का व्यक्ति था। पेता का गोत्रमाल पाणिन् और मूल नाम शलङ्क या शलङ्क था । माता का नाम दाक्षी था और वह दक्ष-कुल में उत्पन्न हुई थी। आहिक पाणिनि का मूल नाम था और पाणिनि का अभिजन ( पिता-पितामहादि परंपरागत निवासस्थान ) 'शलातुर' ग्राम था । इसी अभिप्राय से "गणरत्नमहोदधि' ग्रन्थ में शालातुरीय शब्द की व्युत्पत्ति इस प्रकार की है-"शलातुरो नाम ग्रामः सोऽभिजनोऽस्यास्तीति शालातुरीयस्तत्र भवान् पाणिनिः" इससे स्पष्ट है कि शलातुर ग्राम पाणिनि के पूर्वजों का निवासस्थान है और पाणिनि का जन्मस्थान भी वही है। बाद में पाणिनि किसी अन्य स्थान में रहे हों यह बात दूसरी है। यह शलातुर ग्राम रावलपिएडी से भागे पश्चिमोत्तर सोमाप्रान्त में ( जो अब पाकिस्तान में है ) 'अटक' स्टेशन से १५ मील की दूरी पर स्थित श्रोहिन्द उत्खण्ड या उद्भाण्ड ) ग्राम से साढ़े तीन मील पश्चिमोत्तर दिशा में विद्यमान है और प्राककल 'लाहुर' नाम से प्रसिद्ध है । (शलातुर शब्द ही बदला हुआ सलातुर = हलाथुर = हलाहुर = लाहुर बन गया है-ऐसा गवेषकों का मत है )।

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