Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi Part 01
Author(s): Vishvanath Shastri, Nigamanand Shastri, Lakshminarayan Shastri
Publisher: Motilal Banrassidas Pvt Ltd

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Page 4
________________ भूमिका ( सप्तम संस्करणे) संस्कृत गौरव विश्वभर की समस्त प्राचीन भाषाओं में संस्कृत का सर्वप्रथम और उच्च स्थान है। विश्व-साहित्य की पहली पुस्तक ऋग्वेद इसी भाषा का देदीप्यमान रख्न है, भारतीय संस्कृति का रहस्य इसी भाषा में निहित है, संस्कृत का अध्ययन किये बिना भारतीय संस्कृति का पूर्ण शान कभी सम्भव नहीं है । संस्कृत भाषा का साहित्य अनेकों श्रमूल्य ग्रन्थरस्नों का सागर है, इतना समृद्ध साहित्य किसी भी दूसरी प्राचीन भाषा का नहीं है और न ही किसी अन्य भाषा को परम्परा अविच्छिन प्रवाह के रूप में इतने दीर्घ काल तक रहने पाई है। अति प्राचीन होने पर भी इस भाषा की सर्जन-शक्ति कुण्ठित नहीं हुई, इसका धातुपाठ नित्य नये शन्दों के गड़ने में समर्थ रहा है। - अनेकों प्राचीन एवं अर्वाचीन भाषाओं की यह जननी है। श्राज भी भारत की समस्त भाषाएँ इसी वात्सल्यमयी जननी के स्तन्यामृत से पुष्टि पा रही हैं। पाश्चात्य विद्वान् इसके अतिशय समृद्ध एवं विपुल साहित्य को देखकर श्राश्चर्य-चकित रह गये हैं। उन लोगों ने वैज्ञानिक ढंग से इसका अध्ययन किया और गम्भीर गवेषणाएँ की हैं-एवं साथ में विश्व की दूसरी प्राचीन-भाषाओं का मन्थन करके ये यदि 'भाषा-विज्ञान' ऐसे अपूर्व शास्त्र का आविष्कार कर सके हैं तो इसका श्रेय संस्कृतभाषा के ही गम्भीर अध्ययन को है। समस्त भारतीय भाषाओं को जोड़नेवाली कही यदि कोई भाषा है तो वह संस्कृत ही है। "हजारों वर्ष विक्रम-पूर्व से लेकर ईसपी बारहवीं शताब्दी तक यह भारत की सर्व साधारण बोल-चाल की भाषा (राष्ट्र भाषा ) रही है।" इसमें अनेकों प्रबल प्रमाण दिये जा सकते हैं। आज मी गम्भीर रूप से विचार किया जाय तो स्वतन्त्र भारत को राष्ट्रभाषा होने के समस्त गुए संस्कृत में ही विद्यमान हैं।

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