Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi Part 01 Author(s): Vishvanath Shastri, Nigamanand Shastri, Lakshminarayan Shastri Publisher: Motilal Banrassidas Pvt LtdPage 13
________________ ( १० ) २३१५ सूत्रों की उदाहरण- प्रत्युदाहरण सहित सुन्दर मध्यकौमुदी में पाणिनि के एवं सरल व्याख्या की गयी है । 1 कौमुदी संक्षेप को दृष्टि से अत्यन्त संक्षिप्त व्याकरण - पुस्तक है । इसमें पाणिनि के १२७२ सूत्रों की उदाहरण सहित व्याख्या की गयी है । आचार्य वरदराज और उनका समय श्राचार्य वरदराज का परिचय बहुत संक्षिप्त रूप में मिलता है । ये दाक्षिणात्य ब्राह्मण थे । इनके पिता का नाम दुर्गातनय था और भट्टोजि दीक्षित इनके गुरु थे । मध्यकौमुदी के प्रारम्भ श्लोक में श्री वरदराज ने गुरुवर भट्टोजि दीक्षित को प्रणाम किया है। "नत्वा वरदराजः श्रीगुरून् भट्टोजिदीक्षितान् । करोति पाणिनीयानां मध्यसिद्धान्तकौमुदीम् || वरदराज भट्टोजि दीक्षित के शिष्य होने से तत्समान कालिक थे । अतः समय के विषय में पृथक् विचार करने की कोई आवश्यकता नहीं रह जाती । यह तो मानना ही पड़ेगा कि सिद्धान्तकौमुदी निर्माण के २५ या ३० वर्ष बाद ही वरदराज ने लघुकौमुदी और मध्यकौमुदी का निर्माण किया होगा । सिद्धान्तकौमदी क्रम से पढ़ने के बाद ही पढ़ाते समय प्रक्रियाक्रम से प्रवृत हुए इस पाणिनीय व्याकरण का प्रारम्भिक छात्रों के लिए लघुकाय और मध्यकाय संस्करण लघु और मध्य के रूप में लिखा गया होगा । ऐसी स्थिति में भट्टोजि दीक्षित का समय यदि १६०० से १६५० ईसवी के मध्य माना जाता है तो वरदराज द्वारा लघु और मध्य का निर्माणकाल भी इसी के निकट १० | १५ साल के अन्तर में माना जा सकता है 1* लघुकौमुदी की टीकाएँ मध्यकौमुदी के समान लघुकौमुदी की भी अनेक प्राचीन एवं नवीन टीकाएँ तथा टिप्पण मिलते हैं जो विस्तृत अथवा संक्षिप्त रूप में लिखे गये हैं । कुछ संस्कृत में तथा कुछ हिन्दी में भी हैं । किन्तु हमारी यह " उपेन्द्र - विवृति" नाम की व्याख्या न तो बहुत विस्तृत है न ही प्रति संक्षित है। छात्रों के हित का पूरा ध्यान रखा गया है । सूत्रों का हिन्दी अनुवाद भी साथ दे दिया गया है । उपेन्द्र विवृति सहित लघुकौमुदी का यह सप्तम संस्करण भेंट किया जा रहा है । पहले संस्करणों की अपेक्षा यह यन्त परिमार्जित, संशोधित एवं परिवर्धित है। छात्रों की सुविधा के लिए विशष्ट रूपों की टि. * भगवान् पाणिनि, कात्यायनमुनि शेषावतार महामुनि पतञ्जलि, म० म० भट्टोजिदीक्षित एवं पण्डितप्रवर वरदराज के सम्बन्ध में विशेष परिचय के लिए देखिए मेरी मध्यकौमुदी की भूमिका ।Page Navigation
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