Book Title: Kundakundacharya ke Tin Ratna
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel, Shobhachad Bharilla
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 42
________________ द्रव्यविचार परमाणु मूलतः भिन्न-भिन्न नहीं हैं जैसा कि अन्य दर्शन मानते हैं ) और वह परिणमनशील है। परमाणु शब्द-रहित है, क्योंकि दो स्कन्धोंके संघर्षसे शब्दकी उत्पत्ति होती है। परमाणुओंका समूह स्कन्ध कहलाता है। शब्दके दो भेद हैं - (१) प्रायोगिक अर्थात् पुरुष आदिके प्रयत्नसे उत्पन्न होनेवाला और (२) नियत अर्थात् स्वाभाविक - मेघ आदिसे होनेवाला । (पं० ७७.९) परमाणु नित्य है। वह अपने एक प्रदेशमें स्पर्श आदि चारों गुणोंको अवकाश देने में समर्थ होनेके कारण सावकाश भी है। किन्तु उसके एक प्रदेशमें दूसरे प्रदेशका समावेश नहीं हो सकता, अतएव वह निरवकाश भी है । स्कन्धोंका भेद रखनेवाला और उन्हें बनानेवाला परमाणु ही है । पुद्गलद्रव्य स्पर्श, रस, गन्ध और वर्णवाला है। जहाँ स्पर्श है वहाँ रस, गन्ध और वर्ण भो अवश्य होते हैं । स्पर्श आठ प्रकारके हैं - (१) मृदु ( नरम ), (२) खुरदरा, (३) भारी, ( ४ ) हलका, ( ५ ) ठण्डा, (६) गर्म, (७) चिकना और (८) रूखा। इन आठमें से चिकना, रूखा, ठण्डा और गर्म, यह चार ही स्पर्श परमाणुमें हो सकते है । स्कन्धमें आठों स्पर्श पाये जा सकते हैं । रस पाँच हैं - कटुक, तीक्ष्ण, कषाय, अम्ल, मधुर ( मीठा)। खारा रस, मधुर-रसके अन्तर्गत माना गया है या अनेक रसोंके सम्मिश्रणसे उत्पन्न होनेवाला है । गन्ध दो प्रकारका है-सुगन्ध और दुर्गन्ध । वर्ण पाँच हैं-काला, नीला, पीला, सफेद और लाल। परमाणुमें एक रस, एक वर्ण, एक गन्ध और दो स्पर्श होते हैं। १. प्रायोगिकके दो भेद हैं - भाषात्मक और अभापात्मक। भाषात्मक अक्षरात्मक और अनवरात्मक (पशुपक्षीकी बोलो ) के भेद दो प्रकारके हैं । अमापात्मकके चार भेद हैं -- तत, वितत, धन और सुषिर ( बाजों की आवाज ।) २. यह पैराग्राफ मूलमें नहीं है ।

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