Book Title: Kundakundacharya ke Tin Ratna
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel, Shobhachad Bharilla
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 111
________________ ११२ कुन्दकुन्दाचार्यके तीन रत्न शब्द ३६, ४५, ४६ सम्यग्दृष्टि १०८ शास्त्रज्ञान २९, ८४; के सार ६४ संज्ञा -चार ७४ शुद्ध- कर्म १००; -परिणाम ५७; संन्यास ७९, १२८ -नय ९१ संयम ६६, १२८ शुभ -कर्म १००; -परिणाम ५७; संवर ७४, १०४ -भाव ६० सांख्यवादी १२१, १२२, १२३ श्रुतज्ञान १०७ सिद्ध जीव ४८ सत् ३१ सुख -पारमार्थिक ६५, ७२, सत्ता -वैषयिक ७२ सप्तभंगी समय स्त्रीवेद १२२ समयसार ९९ स्थितिबंध ___७३, ११६ समवायसम्बन्ध ५१ स्पर्श-आठ समिति -पाँच स्याद्वाद सम्यक्त्व ७४ 'स्वयम्भू' आत्मा सम्यग्दर्शन ७४, १०१ हिंसा ८२, ११० 0 0 0 m

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