Book Title: Kshirarnava Author(s): Prabhashankar Oghadbhai Sompura Publisher: Balwantrai Sompura View full book textPage 9
________________ प्रकाशमें प्रारमगमें स्तुति करते कहा है कि महादेवने पाराशरको वास्तुशास्त्रको ज्ञान दिया । पाराशरे बृहद्रथको और बृहद्रधने विश्वकर्माको वह ज्ञान दिया । 'मानसार' में बत्तीस शिल्पाचायों के नाम दिये हुए हैं। विश्वकर्माके मानसपुत्र चार जय मय सिद्धार्थ और अपराजित नामसे थे । कई ग्रंथों में सिद्धार्थको त्वष्टा भी कहा है। उन्होंने लोह कर्म, यंत्रकर्म में कौशल्य प्राप्त किया। बाकी पुत्रोंने विश्वकर्माको प्रश्नों करके वास्तुविद्याका संपादन किया। उनके संवादके रूपमें ग्रंथ रचे गये हैं। स्थापत्योका विकास क्रम स्थापत्यों में मुख्यतया देवमंदिरोंके विविध विभाग घाट पद्धतिका विकास क्रमशः पृथक् पृथक् काल में और देशके खास विभागमें प्रचलित एक या दूसरी सांप्रदायिक शैलीमें देशके उस विभागमें कालबलसे नौवीं दशवीं शताब्दी तक शिल्पकृतियों में परिवर्तन होते गये । उसके बाद उसकी रचनाके खास सिद्धांत निश्चित हुए । इस तरह देवमंदिरादिकी रचनाके रूढ नियम पिछले कालमें अर्थात् बारहवीं शताब्दीसे निश्चित होकर लिखे गये यह निःशंक माना जा सकता है । पाञ्चाज्य विद्वानों भारतीय शिल्पकलाके सांप्रदायिक भेद मानकर शिल्पकी रचनाकी पहचान कराते है, यह बिलकुल अयोग्य है । यह तो सिर्फ प्रवर्तमान शिल्प पद्धतिमें कालभेद या तो प्रांतिय भेद हैं । भारतका शिल्पी वर्ग भारतका प्रमुख शिल्पी वर्ग-भारतके प्रत्येक प्रांतमें प्राचीन वास्तुशास्त्रका अभ्यासी वर्ग विद्यमान था । वे अपने अपने प्रांतके प्रासादोंकी शैली रचना करते थे । कालबलसे या धर्मके प्रति दुर्लक्ष्यसे या विधर्मिओंकी धर्मांधताके कारण अमुक प्रांत में यह वर्ग नष्ट हो गया है या धर्म परिवर्तनसें नष्ट हुआ है। बंगाल, बिहार, आंध्र, पंजाब, सिंध, सरहद प्रांत या कश्मिरमें तेरह चौदहवीं शताब्दी तक इस वर्गका अस्तित्व था । १. पश्चिम भारतमें सोमपुरा ब्राह्मण शिल्पीओं-वास्तुशास्त्र के निष्णात् माने जाते हैं। अभी भी वे अपनी कलाको सुरक्षित बनानेका प्रयास करते हैं । गुजरात, सौराष्ट्र, कच्छ, राजस्थान और मेवाडमें वे वेर विखेर बसते हैं । स्कंदपुराणके कथनानुसार प्रभासके पुत्र विश्वकर्मा के अवतार रूप उनको माना गया है । वे प्रालग जातिके होते हुए भी यजमानवृत्तिका दान नहीं रखीकारते हैं । शिल्पज्ञ गृहस्थके रूपमें जीवन व्ययतित करनेका आग्रह उनका है। वे शिल्पPage Navigation
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