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विकासक्रम की दृष्टिसे अर्थात् उस एकांडक शिखरवाली जाति ज्यादा प्राचीन होनेसे और उस एकांडकका ही सन्तान होनेसे लतिन को ही नागर कहने का लक्षणसमुच्चय जैसे अपराजितपृच्छासे भी अधिक प्राचीन ग्रन्थों में मत है । इस दृष्टिकोणको ध्यानमें रखें तो प्रासादों की जातिमें एका-डक लतिन जातिको आदि मानना चाहिये। अथवा ब्यापक अर्थमें देखें तो एकांडक और अनेकांडक दोनोंको नागरके ही प्रकार के मानना चाहिये। एकांडक ज्यादा प्राचीन और
Latina uikhora
HTRA
kin
3
mülaghantä 2
urahghantà 3 4
shandika
EXAMERA
MEANHRARY
rathika.
kuta
--- Samvarana
ललितशिखर 2 मूलघंटा 3 उघंटा 4 घंटिका 5 रथ 6 कूट 7 संवर्ण ।