Book Title: Kranti Ke Agradut
Author(s): Kanak Nandi Upadhyay
Publisher: Veena P Jain

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Page 4
________________ आशीर्वाद HI18 अनादि काल से धर्म की प्रवृत्ति चलाने के लिये, प्रत्येक चतुर्थ काल में 24 तीर्थङ्कर होते हैं। इसी प्रकार वर्तमान काल में आदिनाथ से महावीर पर्यन्त 24 तीर्थङ्करं हुए हैं । उन्हीं का संक्षिप्त जीवन-परिचय इस पुस्तक में दिया है, पुस्तक का नाम है "क्रांति के अग्रदूत" । इस पुस्तक को भी एलाचार्य उपाध्याय मुनि कनकनंदी जी ने लिखा है । साधारण जीवों के लिये ये पुस्तक अच्छी जानकारी कराने वाली है । अवश्य ही पठनीय है, उपयोगी है । बड़े-बड़े पुराण पढ़ने पर जो जानकारी मिलेगी, वह जानकारी इस छोटी सी पुस्तक में उपलब्ध होगी। तीर्थङ्करों के जीवन पढ़ने से पुण्यानुबंधी पुण्य बंध होता है, मन में निर्मलता आती है, वैराग्य बढ़ता है, कर्म क्षय होता है, ये हमारे महापुरुष हीयमान से कैसे वर्द्धमान बने इसकी पूरी जानकारी मिलती है । सब लोग पुस्तक अवश्य पढ़ें । लेखक को मेरा आशीर्वाद । पुस्तक छपाने के लिये द्रव्यदाता श्राविका वीना जैन को भी मेरा आशीर्वाद, परिश्रम करने वालों को भी आशीर्वाद । दिनांक : 4-9-1990 अनन्त चतुर्दशी मुजफ्फरनगर। ग० आ० कुन्थुसागर

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