Book Title: Kisan Bavni Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 4
________________ बालम अहे अयान मालम न है पयान, जालम रहे न जुलमानो मान रहैगो॥ अंतवार ख्वारी परिवा हूं न दे त यारी, गहै नार नारी यार सोहि नार वहैगो ॥ काया अरु माया कैशी बादलकी बाया जैशी, किसन जु ऐशी को अंदेशो दिल दहैगो ॥ जौलौं जीये एह देह तौलौं निस्संदेह देह, व्हैगी देह खेह तब कौन देह कहैगो॥॥ इत उत मोलै कहा दीन बोल बोले, रहा पेटहीके नोले देह लग्यो महा प्रेत है ॥ गरनमें दे दे ग्रास पाल्यो द शमास बास, वाहिकी किसनदास आन बान देत है। चांच दई सोई मिंत चूनकी करैगो चिंत, चिंतही हरगो ऐसो साहिब सचेत है। जानको अजानको जिहानको बिहानहिते, देत सु बिहान कहा तोहिकों न देत है॥णा इहै प्रजुता को जो किसनप्रनु ताको त्याग, बांमीना विनू तितौ विनूति कहा धारी है ॥ जौलों जग तजी नाहि तौलौं नगतजी नाहि, काहेको गुसांईजो गुसांईसों न या रीहै॥काहेको बिरादमन जारी है बिराह मन,कहा पीर जो पैपर पीर न बिचारी है।कैसो वह योगीजन जाको न वि योगी मन आसनहि मारी जान्यो बास नहि मारी है॥॥ उकति उपाई एती उमर गमाई कबु, कीनीन कमाई का म नयो न नलाईको॥औधी जब आई तब कौन है स Jain Educationa Intemational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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